देश की स्वतंत्रता के लिए प्राणों की आहुति देने वाले महान क्रांतिकारी थे करतार सिंह सराभा : पाठक

भिण्ड, 24 मई। भारतीय जनता युवामोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अतुल रमेश पाठक ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान क्रांतिकारी करतार सिंह सराभा की 127वी जयंती पर श्रृद्धांजलि अर्पित कर उन्हें कोटि-कोटि नमन किया।
इस अवसर पर अतुल रमेश पाठक ने कहा कि महान क्रांतिकारी करतार सिंह सराभा का देश की आजादी के लिए दिया गया बलिदान सदैव युवाओं में देशप्रेम का संचार करता रहेगा, क्योंकि देश को आजाद कराने के संकल्प के साथ करतार सिंह ने 19 वर्ष की आयु में अपने प्राणों का बलिदान दिया। करतार सिंह सराभा की प्रतिभा को देखते हुए उनके दादाजी ने उन्हें आगे की शिक्षा के लिए वर्ष 1912 में अमेरिका भेजा दिया। इस दौरान उन्हें भारतीय होने के कारण गुलाम की दृष्टि से देखा गया और गुलामों की तरह व्यवहार सहना पड़ा। उनके साथ हुए इस दुर्व्यवहार का किसी ने जबाव दिया कि ‘क्योंकि तुम भारत देश से आये हो और भारत एक गुलाम देश है।Ó बस फिर क्या था, यहीं से बालक करतार सिंह के हृदय में क्रांति का अंकुरण शुरू हो गया। भगत सिंह, करतार सिंह सराभा को अपना गुरू और आदर्श मानते थे। जब भगत सिंह को गिरफ़्तार किया गया, तब उनकी जेब से करतार सिंह सराभा की तस्वीर मिली थी। ये तस्वीर भगत सिंह हमेशा अपने साथ रखते थे, अपनी मां को तस्वीर दिखाकर कहते थे- मां, ये मेरे हीरो हैं, दोस्त हैं, साथी हैं।
पाठक ने कहा कि करतार सिंह सराभा प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। उन्हें अपने शौर्य, साहस, त्याग एवं बलिदान के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा, उन्होंने मात्र केवल 19 वर्ष की आयु में ही हंसते-हंसते देश के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। उनके शौर्य एवं बलिदान की मार्मिक गाथा आज भी भारतियों को प्रेरणा देती है और देती रहेगी। यदि आज देश का युवा सराभा के बताए हुए मार्ग पर चले, तो न केवल अपना, अपितु देश का मस्तक भी ऊंचा कर सकते हैं।