हमें सदा परोपकार के कार्य करना चाहिए : परमानंद महाराज

भिण्ड, 19 मई। लहार तहसील के गेंथरी-बेलमा गांव में गौंड़ बाबा मन्दिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास पं. परमानंद महाराज ने समुद्र मंथन, वामन अवतार की कथा सुनाई।
उन्होंने कहा कि जब लक्ष्मीजी का विवाह होना तय हुआ तो उनके सामने सभी देवों को बिठाया गया और कहा गया कि इनमें से जो भी देवता आपको पसंद है, उनको आप वरमाला पहनाएं। इस पर लक्ष्मी जी ने बारी-बारी सभी देवताओं की ओर देखा तथा अंत में जाकर भगवान विष्णु को लक्ष्मीजी ने माला पहनाकर अपना वर स्वीकार कर लिया। जिसके बाद समुद्र मंथन हुआ। तब देवताओं को अमृत पिलाया गया और भगवान शंकर ने विष पान किया। कथा वाचक ने समुद्र मंथन के दौरान निकलने वाले सभी रत्नों और आवश्यक वस्तुओं के बारे में विस्तार से बताते हुए वामन अवतार की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य के कई जन्मों के पापों का क्षय हो जाता है। हमें भागवत कथा सुनने के साथ साथ उसकी शिक्षाओं पर भी अमल करना चाहिए। वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ तथा अहंकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता है। यह धन संपदा क्षणभंगुर होती है, इसलिए इस जीवन में परोपकार करो, कभी भी धन-संपत्ति पर घमण्ड नहीं करना चाहिए।