सोशल मीडिया पर सरकार का पहरा, इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने सरकार के कदम की आलोचना की

नई दिल्ली। केंद्र से जुड़ी सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली सभी सूचनाओं का फैक्ट-चेक अब सरकार करेगी। सरकार ने इन्फॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी नियमों में बदलाव किया है, जिसके बाद अब इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रहे भ्रामक और गलत सूचनाओं पर नजर रखने के लिए एक फैक्ट-चेक बॉडी बनाएगा। अगर कोई प्लेटफार्म फेक न्यूज को उचित समय से नहीं हटाता है तो उसपर कानूनी कार्यवाई भी सकती है। अगर कोई मीडियेटर (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) सरकार से संबंधित किसी भी सामग्री को हटाने या ब्लॉक करने में विफल रहता है, जिसे द्वारा फेक के रूप में मार्क किया गया है तो उसपर कार्यवाई भी होगी। अभी तक सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आईटी एक्ट की धारा 79 के तरह सेफ थे लेकिन अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मुश्किलों में फंस सकते हैं और उनके ऊपर कानूनी कार्यवाई भी हो सकती है। आईटी एक्ट 2000 की धारा 79 के तहत, बिचौलियों को उनके प्लेटफार्मों पर कंटेंट के लिए किसी भी कानूनी दायित्व से सुरक्षित किया जाता है। क्योंकि प्लेटफॉर्म एक थर्ड पार्टी है जहां लोग अपने विचार शेयर करते हैं।

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने इसे बताया असंवैधानिक आईटी एक्ट के धारा 3(1) (बी) (1) के तहत जो बदलाव किए गए हैं उसके अनुसार सरकार ने अब अपने पहले के मसौदे से पीआईबी और फैक्ट चेक यूनिट को हटा दिया है। केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि हम इन फैक्ट चेकिंग यूनिट्स के लिए कुछ जवाबदेही भी बनाएंगे, चाहे वह सरकारी फैक्ट चेकर हो, चाहे प्राइवेट फैक्ट चेकिंग यूनिट हो। इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने इस कदम को असंवैधानिक बताया है। एक बयान में कहा गया है, सरकार की किसी भी यूनिट को इस तरह की मनमानी, ऑनलाइन कंटेंट की प्रामाणिकता तय करने का अधिकार देना असंवैधानिक है। सोशल और गोदी मीडिया में लड़ाई एक तरह से सोशल मीडिया और गोदी मीडिया में लड़ाई देखी जा रही है। दरअसल जिस तरह नेशनल गोदी मीडिया सरकार के पक्ष में एक तरफा खबरे चला रहा है उससे उनकी विश्वसनीयता खत्म हो रही है। लोग अब सोशल मीडिया की खबरों पर विश्वास करने लगे हैं। सोशल मीडिया की निष्पक्षता से उसका दायरा बढ़ रहा है। इसको देखते हुए सरकार ने उसपर कानूनी पहरा बैठा दिया है।