नशामुक्ति अभियान के तहत विभिन्न गतिविधियों का हुआ आयोजन

भिण्ड, 22 जनवरी। शासन निर्देशानुसार कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस के निर्देशन एवं प्रभारी उपसंचालक सामाजिक न्याय के मार्गदर्शन में नशामुक्ति अभियान के तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन जिले में विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं स्कूल, महाविद्यालयों में किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत किड्स केयर स्कूल हाउसिंग कॉलोनी में नशामुक्ति अभियान का क्रियान्वयन केलेण्डर अनुसार किया गया। जिसके तहत प्रथम दिवस नशे के दुष्परिणाम विषय पर समस्त छात्रों का उन्मुखीकरण किया गया।
कार्यक्रम में दुनिया में कई तरह के नशे के प्रकारों को बताया गया, शराब, बीडी, तंबाकू, गुटका ये परंपरागत तरीके हैं, किन्तु आज-कल अफीम, गांजा से इनके दुष्परिणामों और शरीर पर पडऩे वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में बाल सरंक्षण अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग अजय सक्सेना द्वारा बताया गया। उन्होंने बताया कि हमारी अर्थ व्यवस्था का एक बहुत बड़ा भाग नशीले पदार्थों के उपयोग में जाता है, पूरी दुनिया में लगभग 80 बिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार इन्हीं नशीले पदार्थों का है, अर्थात किसी छोटे देश की जितनी पूरी अर्थ व्यवस्था होगी उतना केवल नशीली सामग्री के उपयोग में चला जाता है। जो समूचे विश्व के लिए अलार्मिंग स्थिति है। श्वांस, लिवर, आंखें, हृदय और पूरे शरीर पर नशे के दुष्प्रभाव देखे जाते है। नश न केवल उपयोगकर्ता के लिए, अपितु उससे जुड़े लोगों, परिवार, समुदाय सभी के लिए हानिकारक है। अगर कोई बीड़ी पीता है तो उसका हानिकारक धुंआ उसके पास सभी के लिए नुक्सान देह होगा। साथ ही इससे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के साथ-साथ पारिवारिक कलह भी शुरू हो जाती है, हमें किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए।

इसके बाद किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों से अवगत कराते हुए बताया कि अगर कोई भी दुकानदार 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नशीले पदार्थ बेचता है अथवा बिचवाता है, दोनों ही अपराध है और कानून में सजा का प्रावधान है। इसी तरह से मेडिकल स्टोर वाले भी बिना पर्चे के 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे को दवा नहीं देंगे, इसके लिए जिले में सभी मेडिकल स्टोरों, शराब के ठेकों और गुमटियों पर ‘यहां बच्चों को नशीले पदार्थ (बीड़ी, गुटका, दवा आदि) नहीं बेचे जाते है’ संदेश (केलेण्डर, दीवार लेखन) के माध्यम से प्रसारित है, इसके बाद स्कूल के सभी बच्चों ने पाती (एक पत्र जिसमें बच्ची अपने अभिभवको से नशीले पदार्थ सेवन न करने का अनुरोध कर रहे है) हस्ताक्षरित कराई गई। उसके पश्चात ‘नशे के दुष्परिणाम’ एवं ‘नशा और वचपन’ विषय पर भाषण, चित्रकला, रंगोली, निबंध लेखन गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागिता करने वाले सभी बच्चों को प्रमाण पत्र और पुरुष्कार से सम्मानित किया गया।