दुर्गम रोडमैप तैयार, 16 को होगा रोमांचकारी चंबल मैराथन

भिण्ड, 07 जनवरी। चंबल परिवार प्रति वर्ष चंबल मैराथन का आयोजन करता रहा है। आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष में यह आयोजन आगामी 16 जनवरी को सुबह नौ बजे से भिण्ड जिले की तहसील अटेर में आयोजित हो रहा है। इसकी शुरुआत अटेर घाट चंबल किनारे से प्रारंभ होगी, वहीं से नदी की प्राकृतिक छटाओ तथा प्रवासी पक्षियों के कलरव के बीच मन को मोह लेने वाले रेतीले किनारे हरी भरी घास की पगडंडियों तथा चंबल के बीहड़ों की भूल भुलैया दुर्गम रास्तों से होते हुए किशोरी एडवेंचर स्पोट्र्स सेंटर तथा घडिय़ाल पॉइंट से होते हुए चंबल का पीला सोना यानी, सरसों के खेतों के बीच से निकलते हुए पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहर अटेर किला के नीचे स्थित प्रांगण में समापन होगा। चंबल फाउण्डेशन द्वारा चलाए जा रही ‘चंबल नेचुरल टूरिज्म’ ‘स्प्रिट चंबल’ और ‘रन फॉर बेटर चंबल’ जैसी मुहिम से चंबल घाटी क्षेत्र का परिदृश्य और पहचान पूरे दुनिया को लगातार अपनी और आकर्षित कर रही है।

दुर्गम बीहड़ में रूट का जायजा लेते मैराथन आयोजक

चंबल मैराथन के संयोजक एवं कार्यक्रम प्रभारी राधेगोपाल यादव ने कहा कि आजादी आंदोलन में कंपनीराज के खिलाफ अंग्रेजों को सबसे बड़ी चुनौती चंबल के रणबांकुरों से ही मिली थी। ‘नर्सरी ऑफ सोल्जर्स’ के नाम से सुविख्यात चंबल वह क्षेत्र है, जहां के लोग देश के लिए बलिदान हो जाने के जुनून के चलते सबसे ज्यादा संख्या में सेना और अन्य बलों में बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं। इस बड़े क्षेत्र में शांति के दिनों में भी किसी न किसी गांव में सरहद पर तैनात किसी जवान को तिरंगे में लपेटकर लाया जाता है। हम ऐसे शहीद गांवों को केन्द्र में रखकर विभिन्न खेलों के जरिये एक सूत्र में पिरोने का प्रयास कर रहे हैं।
रूद्राक्ष मैन डॉ. रिपुदमन सिंह ने जोर देते हुए कहा कि गौरवशाली विरासत वाले चंबल घाटी में बिना देर किए उसकी प्राकृतिक संरचनाओं को सहेजते हुए प्रगति की गंगा बहाई जाए। चंबल क्षेत्र के युवाओं की शिक्षा, ऊर्जा और आवेश को रचनात्मक धरातल प्रदान करते हुए सृजनात्मक उपयोग होना आवश्यक है। बीहड़ी इलाके के लिए विशेष पैकेज जारी किए जाए। चंबल के उपेक्षित स्थलों को राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र से जोड़कर घाटी में पर्यटन की अपार संभावनाओं की राह खोली जाए। इससे बड़े पैमाने पर स्वरोजगार का सृजन होगा।
चंबल के बीहड़ों की अकेले साइकिल से 2800 किमी से अधिक यात्रा कर दस्तावेजीकरण करने वाले चंबल परिवार के मुखिया शाह आलम ने बताया कि चंबल नदी की स्वच्छ जलधारा का कलकल निनाद और उसके कूल-कछारों में दूर देश से आए प्रवासी पंछियों की चहचाहट की आवाजें खिलाडिय़ों को आनंदित कर देगी। पीला सोना यानी सरसों के फूलों से लदे खेतो और बीहड़ के खाई-भरके, चंबल मैराथन के दौरान चंबल नदी में मगरमच्छ, घडिय़ाल और डॉल्फिनों के जीवंत दृश्य और चंबल के रेतीले तट सुकून का एहसास कराएंगे। चंबल मैराथन घाटी की सांस्कृतिक ऊर्जा से विश्व को संदेश देने के साथ अब देश दुनिया के साथ कदमताल करने को बेताब है। चंबल मैराथन में आस-पास के प्रदेशों के खिलाड़ी दौड़ में प्रतिभागी बनेंगे। मैराथन के बाद उन्हें चंबल परिवार की तरफ से पुरस्कृत किया जाएगा। मैराथन रूट का खाका तैयार करते समय उत्तम सिंह, गोविन्द यादव, सागर कुमार, विमलेश यादव मौजूद रहे।