– राकेश अचल
ये एक अराजनीतिक खबर है, भारत पूरे 40 साल बाद फिर से अंतरिक्ष में है। भारत के शुभांशु शुक्ला तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ आईएसएस अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हुए हैं। लखनऊ के 40 वर्षीय शुभांशु इस जगह पहुंचने वाले पहले और अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय नागरिक हैं।
आपको याद होगा कि 1984 में भारतीय वायुसेना के पायलट राकेश शर्मा पहले भारतीय थे, जिन्होंने सोवियत संघ के सोयुज टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष में यात्रा की थी। तब श्रीमती इन्दिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। वे 7 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष में गए और भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर स्थापित किया। राकेश शर्मा के बाद भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने नासा के साथ कई मिशनों में हिस्सा लिया। वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर लंबे समय तक रहीं और 2024 में बोइंग स्टार लाइनर मिशन के तहत आईएसएस पर गईं। उनकी वापसी तकनीकी कारणों से मार्च 2025 तक टल गई थी। भारत ने उस समय भी जमकर जश्न मनाया था।
ये दूसरा मौका है जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्जाम-4 मिशन के तहत आईएसएस पर गए। यह मिशन 25 जून को शुरु हुआ, जिसमें शुभांशु पायलट की भूमिका में थे। यह मिशन इसरो और नासा के बीच सहयोग का हिस्सा है, जिसमें शुभांशु 7 भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं, जो माइक्रोग्रैविटी, जैविक और कृषि अनुसंधान से संबंधित हैं। मिशन की लागत 550 करोड़ रुपए है और यह भारत के गगनयान मिशन की तैयारी में महत्वपूर्ण है। खास बात ये कि 7 बार स्थगन के कारण जैविक नमूनों की सुरक्षा पर सवाल उठे, लेकिन इसरो और नासा ने इसे सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए। आपको बता दूं कि इसरो का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ 2027 में शुरू होने की उम्मीद है। यह भारत का पहला स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन होगा।
लखनऊ के शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर ने एक्सजोम-4 के लिए प्रशिक्षण पूरा किया, जो गगनयान की तैयारी में मदद करेगा। गगनयान का लक्ष्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करना है। लद्दाख में एनालॉग में इसरो ने नवंबर 2024 में लेह, लद्दाख में भारत का पहला मंगल और चंद्रमा एनालॉग मिशन शुरू किया। यह मिशन चंद्रमा और मंगल जैसे वातावरण में जीवन की चुनौतियों का अनुकरण करता है।मिशन में हब-1 (हाइड्रोपोनिक्स फार्म, रसोई, स्वच्छता सुविधाएं) का परीक्षण किया गया, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है। दुनिया एक तरफ बारूद का खेल खेल रही है, वहीं दूसरी तरफ 2040 तक लागत प्रभावी अंतरिक्ष पर्यटन की संभावना पर काम हो रहा है।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के खाते में भी साल दर साल नई उपलब्धियां जुड रहीं हैं। चंद्रयान-3 (2023) ने चंद्रमा की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग कर भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी बनाया। 2013 में भारत का पहला अंतर ग्रहीय मिशन मंगलयान ने भारत को मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बनाया। आदित्य-एल1: सूर्य-पृथ्वी एल1 बिन्दु पर भारत का पहला सौर मिशन, जो 2023 में पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकला।
कोई माने या न माने लेकिन भारत के 140 करोड़ लोगों की उम्मीद शुभांशु शुक्ला की इस यात्रा की कामयाबी से जुडी हैं। अब विघ्न संतोषी सवाल कर सकते हैं कि कोई यादव, कोई खान, कोई गांधी, कोई मोदी इस काम के लिए क्यों नहीं चुना गया? तो उत्तर साफ है कि इस विज्ञान में राजनीति और आरक्षण नहीं चलता, अन्यथा शुभांशु का नंबर कभी नहीं आता। शुभांशु को हम सबकी ओर से कोटि कोटि शुभकामनाएं।