साहित्यकार डॉ. निराला के गजल संग्रह ‘कुहासा मार डालेगा’ का हुआ लोकार्पण

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह आयोजित

भिण्ड, 08 नवम्बर। राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित साहित्यकार डॉ सुनील त्रिपाठी निराला के गजल संग्रह ‘कुहासा मार डालेगा’ का लोकार्पण रविवार को शहर के वेदांता इंटर नेशनल स्कूल में किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भरथना से महेश मंगल, कन्नौज से शिवम शुक्ला, सिकंदराराऊ से डॉ. देवेन्द्र दीक्षित शूल, टूंडला फिरोजाबाद से राम राहुल, लहार से हरिहर सिंह मानसभृंग, जितेन्द्र त्रिपाठी अमित, कीरत सिंह ने काव्यपाठ किया। स्थानीय कवि किशोरी लाल बादल, आशुतोष शर्मा नंदू, हेमंत जोशी नादान ने भी अपनी कविताएं प्रस्तुत की।


समारोह में अतिथि कवियों, राष्ट्रपति-राज्यपाल तथा आचार्य सम्मान प्राप्त शिक्षकों, वर्ग-1 व वर्ग-2 पर चयनित नवीन शिक्षकों तथा पत्रकारों का मंच से डॉ. विनोद सक्सेना, अशोक जैन, डॉ. राधेश्याम शर्मा, नागरिक सहकारी बैंक अध्यक्ष अशोक जैन, डॉ. अरिविन्द शर्मा, डॉ. शैलेन्द्र परिहार, डॉ. हरिविलास शर्मा, राजेन्द्र सिंह भदौरिया पटवारी, डॉ. नामदेव शर्मा, अनेन्द्र सिंह भदौरिया, नरेन्द्र कुमार गुप्ता, देवेन्द्र प्रसाद शास्त्री, मदन मोहन पालीवाल, धर्मवीर सिंह भदौरिया, वीरेन्द्र जैन एडवोकेट की तरफ से शॉल, श्रीफल, स्मृति सम्मान पत्र 2021 तथा मान निधि भेंट कर सम्मानित किया गया।
गजल संग्रह ‘कुहासा मार डालेगा’ पर सारगर्भित उद्बोधन देते हुए खिजर मोहम्मद कुरैशी ने कहा कि इस संग्रह की प्रत्येक गजल बहुत मारक है, इसमें व्यवस्थाओं को लेकर के बड़ी सटीक टिप्पणियां की गई हैं, मसलन एक शेर है कि ‘भले ही हादसा कह लो मगर ये साफ साजिश है। जहां बारूद थी तुमने वहीं पर तीलियां रख दीं।’ पुस्तक के शीर्षक को सारगर्भित करते हुए यह कल का मतलब हुआ है दिव्य मागों पर जमा है वह ‘कुहासा मार डालेगाÓ यह हिन्दू और मुस्लिम का तमाशा मार्ग आदि।
वरिष्ठ कहानीकार ए असफल ने कहा कि समय ‘कुहासा मार डालेगा’ गजल संग्रह का सटीक आंकलन करेगा। इसमें इसमें जन भावनाओं को बड़ी पैनी नजर से देखते हुए उकेरा गया है। संवेदनात्मक मुद्दों को गजलकार निराला ने बड़ी शिद्दत से उठाया है। संग्रह में जनवाद और राष्ट्रवाद का स्वर मुखर हुआ है। राजनैतिक मूल्यों की गिरावट पर अनेक मुकम्मल शेर इसे जनोपयोगी बनाते हैं। यकीं मानो सियासत का रवैया ही सुधर जाए। रियाया कि निगाहों में अगर लोगों उतर आए।