मीडिया की स्वतंत्रता पर अमरीका से पंगा

– राकेश अचल


भाजपा के महाबली होने पर अब कम से कम मुझे तो कोई संदेह नहीं रहा। भाजपा ने मीडिया कोई स्वतंत्रता के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बहाने अमेरिका पर निशाना साधा है और अमेरिका ने भी लगे हाथ भाजपा के आरोपों को निराशाजनक बताया है। मीडिया की स्वतंत्रता के मुद्दे पर अमेरिका से रार पैदाकर भारत का इरादा क्या है कोई नहीं जानता।
बात कल की है, भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विदेशी ताकतों के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऑर्गनाइज्ड क्राइम एण्ड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट को अमेरिकी विदेश विभाग और अरबपति जॉर्ज सोरोस जैसे ‘डीप स्टेट’ से जुडे लोगों द्वारा वित्तीय सहायता मिल रही है। क्राइम एण्ड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट को अमेरिकी विदेश विभाग और अरबपति जॉर्ज सोरोस जैसे ‘डीप स्टेट’ से जुडे लोगों द्वारा वित्तीय सहायता मिल रही है। संविद पात्रा ही भाजपा के सुपात्र प्रवक्ता हैं, वे जो भी कहते हैं मुझे उसे लेकर कोई संदेह नहीं होता, क्योंकि वे हमेशा मौलिक बात करते हैं।
पात्रा अमेरिका को निशाने पर लेने से पहले शायद ये भूल गए कि अमेरिका ने हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प को अपना नया राष्ट्रपति चुना है जो कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के अभिन्न मित्र हैं। जो पात्रा ने कहा वो ही भाजपा का अधिकृत ब्यान है। इसीलिए अमेरिका ने भारतीय जनता पार्टी के इन आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय व्यवसायी गौतम अडानी के खिलाफ लक्षित हमलों के पीछे अमेरिकी विदेश विभाग का हाथ है। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि अमेरिका देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि यह निराशाजनक है। अमेरिका ने कहा कि वह दुनियाभर में मीडिया की स्वतंत्रता का चैंपियन रहा है, और इन संगठनों द्वारा संपादकीय निर्णयों को प्रभावित नहीं करता है।
संविद पात्रा अमेरिका को निशाने पर लेने से पहले वल्र्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट को शायद भूल गए। इस रिपोर्ट में भारत की 161वे स्थान पर है। 180 देशों में पिछले साल भारत 150वें स्थान पर था। उससे पिछले साल यानी 2021 में 142वें स्थान पर, थोडा और पीछे जाएं तो 2012 में 131वां स्थान था और 2002 में जिस साल इस इंडेक्स का उदघाटन हुआ था भारत 80वें स्थान पर था। यानी इस रिपोर्ट के मुताबिक तो भारत में प्रेस की आजादी में लगातार गिरावट हो रही है। भारत में बीते 10 साल से स्वतंत्र मीडिया गोदी मीडिया में तब्दील हो चुका है। जो बच गया वो सोशल मीडिया पर अपनी जान बचाता फिर रहा है।
पात्रा के आरोपों के बाद अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, यह निराशाजनक है कि भारत में सत्तारूढ पार्टी इस तरह के आरोप लगा रही है। अमेरिका लंबे समय से दुनिया भर में मीडिया की स्वतंत्रता का समर्थक रहा है। अमेरिकी सरकार पत्रकारों के लिए पेशेवर विकास और क्षमता निर्माण प्रशिक्षण का समर्थन करने वाले कार्यक्रमों पर स्वतंत्र संगठनों के साथ काम करती है। यह कार्यक्रम इन संगठनों के संपादकीय निर्णयों या दिशा को प्रभावित नहीं करता है। स्वतंत्र प्रेस किसी भी लोकतंत्र का एक अनिवार्य घटक है, जो सूचित और रचनात्मक बहस को सक्षम बनाता है और सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह ठहराता है।
चूंकि मैं भारतीय मीडिया के साथ पिछले 45 साल से सक्रिय रूप से जुडा हूं, इसलिए मुझे हकीकत का पता है। अमेरिका में भी मीडिया ने हाल के राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह से भूमिका अदा की है उससे जाहिर है कि अमेरिका में भी मीडिया को ट्रम्प ने अपनी गोदी में ठीक वैसे ही बैठा लिया था जैसा कि भारत में मोदी जी ने बना रखा है। दुनिया के सबसे बडे मीडिया मुगल ने डोनाल्ड ट्रंप की खुलकर मदद की। भारत में तो अब ये आम बात है।
मेरी स्मृति में पिछले पांच दशक का इतिहास भित्ति चित्र की तरह अंकित है। मुझे याद नहीं आता कि इससे पहले कभी पहली बार है जब सत्तारूढ पार्टी ने मोदी सरकार की आलोचना करने वाली खबरों के लिए सीधे अमेरिकी सरकार पर हमला किया है। पात्रा ने दावा करते हुए कहा था कि हमारे पास सबूत हैं कि ओसीसीआरपी को 50 फीसदी फंडिंग अमेरिकी विदेश विभाग से मिलती है। ओसीसीआरपी अडाणी ग्रुप और सरकार के बीच रिश्तों को लेकर झूठे और बेबुनियाद आरोपों के जरिए भारत को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका को शायद नहीं पता की भाजपा किसी को भी कमजोर करने की कोशिश कर सकती है। भाजपा देश की समरसता को बर्बाद कर चुकी है। गंगा-जमुनी संस्कृति को समाप्त कर चुकी है। राम का नाम बदनाम कर चुकी है। भाजपा की नजर में राहुल गांधी देशद्रोही हैं।
भाजपा को अमेरिका से पहले अनेक लोग चेतावनी दे चुके हैं। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिख कर भाजपा के संबित पात्रा द्वारा विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ मीडिया से बातचीत में कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने पर गहरी चिंता व्यक्त की और सत्तारूढ पार्टी के नेता के खिलाफ कडी कार्रवाई की मांग की। बिरला को लिखे अपने पत्र में टैगोर ने आरोप लगाया कि पात्रा का आचरण संसद सदस्य से अपेक्षित शिष्टाचार और नैतिकता का स्पष्ट उल्लंघन है।
भाजपा और उसके नेतृत्व वाली सरकार ने वैदेशिक मोर्चे पर अभी तक कोई खास कामयाबी हासिल नहीं की है। भारत की सरकार ने अपने तमाम पडौसियों से तो रिश्ते बिगाड लिए हैं, अब अमेरिका की बारी है। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जनवरी में पदभार ग्रहण करेंगे, तभी पता चलेगा कि वे पात्रा के आरोपों को कैसे लेते हैं? वैसे ट्रम्प पहले ही तमाम तरह की घुडकियां दे चुके हैं। हमें उम्मीद करना चाहिए कि भाजपा की सरकार और उसके नेता राहुल गांधी के साथ ही भारत के तमाम मित्रों के बारे में बोलने से पहले संयम का इस्तेमाल करेगी। भाजपा को समझना चाहिए की भारत और दूसरे देशों के रिश्ते दस-पांच साल में नहीं बनते, इन्हें बंनाने में एक उम्र गुजर जाती है।
प्रेस की आजादी का मतलब किसी राजनीतिक, आर्थिक, कानूनी और सामाजिक हस्तक्षेप से स्वतंत्र रहते हुए और बिना किसी शारीरिक या मानसिक खतरे के पत्रकारों का इंडिविजुअल या सामूहिक रूप से सार्वजनिक हित में खबरों को सेलेक्ट करना, प्रोड्यूस करना और प्रसार करना होता है। लेकिन भारत में मान्यता कुछ और है। यहां मीडिया की स्वतंत्रता की कीमत गौरी लंकेश जैसों को अपनी जान से हाथ धोकर चुकाना पडती है। रवीश कुमार को अपनी नौकरी गंवाकर चुकाना पडती है।