– जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक में षडयंत्र पूर्व पद का दुरुप्रयोग कर किया था भ्रष्टाचार
भोपाल, 05 अक्टूबर। विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) भोपाल मनोज कुमार सिंह की अदालत ने जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक में षडयंत्र पूर्व पद का दुरुप्रयोग कर भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारीगण तत्कालीन प्रबंधक एससी सिंघई, विक्रय अधिकारी विजेन्द्र कौशल, संयुक्त पंजीयक आरएस गर्ग, सहकारिता निरीक्षक एपीएस कुशवाहा को दोषसिद्ध पाते हुए धारा 420, सहपठित धारा 120बी भादंवि में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपए अर्थदण्ड (प्रत्येक आरोपी को) एवं धारा 13-1(डी), सहपठित 13(2) पीसी एक्ट में तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए अर्थदण्ड (प्रत्येपक आरोपी को) से दण्डित का निर्णय पारित किया है। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती हेमलता कुशवाहा ने की।
जनसंपर्क अधिकारी एडीपीओ भोपाल मनोज त्रिपाठी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि ग्राम बगौनिया एवं कल्याणपुर के ग्राम वासियों द्वारा भारतीय गैर न्यायिक स्टांप पर हस्ताक्षरित लिखित शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में प्रस्तुत की गई कि जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक मर्यादित भोपाल अधिकारियों द्वारा ग्राम बरखेडा नाथू रातीबड में बैंक अधिनियम 1999 के प्रावधानों का उल्लघन करते हुए ऋण वसूली न होने पर चल-अचल संपत्ति से ऋण वसूली के लिए बैंक अधिकारियों द्वारा नियम एवं शर्तों को अपनाए बिना मिट्टी के भाव में कृषि भूमि नीलाम की गई है। वर्तमान प्रकरण में ग्राम सोहागपुर, तहसील हुजूर जिला भोपाल की लगभग पांच एकड भूमि मात्र 40 हजार रुपए में षडयंत्र पूर्ण 30 जून 2000 को नीलाम कर दिया था। उक्त भूमि कृषक सौरभ सिंह की थी, जिसने डेरी के लिए 20 हजार रुपए का ऋण लिया था और नीलामी के समय मूल बकाया मात्र 10 हजार था। वर्ष 2000 से 2007 के मध्य कृषि भूमि की नीलामी कार्रवाई का सिलसिला कई वर्षों से चल रहा था तथा ऋणी कृषक को बताए बिना एवं विधिवत सूचना ना देकर बंधक भूमि को ऋण राशि न अदा करने पर उनकी भूमि बाजार मूल्य एवं कलेक्टर द्वारा निर्धारित मूल्य से अत्यधिक कम मूल्य पर अवैधानिक रूप से नियम के विरुद्ध नीलामी कार्रवाई कर धोखाधाडी कर अपने पद का दुरुप्रयोग करते हुए नीलामी संबंधित नोटशीट के कूटरचित दस्तावेज तैयार कर पुष्टि हेतु संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं भोपाल को भेजा गया। जहां उनके द्वारा अवैधानिक रूप से नीलामी की पुष्टि आदेश पारित किया गया। उक्त लिखित सूचना के आधार पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा जांच कर अपराध पंजीबद्ध किया गया। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुुत किया गया। न्यायालय ने अभियोजन साक्ष्य, दस्तोवजों, लिखित तर्कों से सहमत होकर आरोपीगण उक्त धाराओं में दण्डित किया है।