भिण्ड, 30 दिसम्बर। वर्तमान में युवाओं के सामने अपने भविष्य को लेकर के बहुत चुनौतियां और तनाव हैं। समय का अभाव भी उनके लिए एक बडी परेशानी है, जिसके कारण कम उम्र में ही युवा कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। 20 मिनट का आवर्तन ध्यान न केवल उनके तनाव को काम करेगा अपितु उनकी एकाग्रता को बढकर शैक्षणिक गुणवत्ता में भी वृद्धि करेगा। यह उद्गार डॉ. मनोज जैन ने सामाजिक संस्था सुप्रयास द्वारा आयोजित आवर्तन ध्यान शिविर में व्यक्त किए।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपने कठिन कार्यक्रम के बीच में आवर्तन ध्यान करते हैं। लगभग 23 साल पहले जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने डॉ. एचआर नागेन्द्र से आवर्तन ध्यान का अभ्यास सीखा था। उसके बाद उन्होंने अपने मंत्रिमण्डल के सभी मंत्रियों को आवर्तन ध्यान का अभ्यास करवाया और गुजरात में योग के प्रचार प्रसार में व्यक्तिगत रुचि लेकर इसमें बहुत वृद्धि की थी। आवर्तन ध्यान मांडूक्य उपनिषद पर आधारित एक ऐसी यौगिक प्रक्रिया है, जिसमें कुछ खडे हुए आसन, कुछ बैठे हुए आसन और शवासन को मिलकर ध्यान का एक मॉड्यूल बनता है। जिसे अपना कर हम अपनी जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि कर सकते हैं।
डॉ. मनोज जैन ने बताया कि डॉ. एचआर नागेन्द्र के पास आईआईएससी बेंगलुरू से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी है, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थानम योग विश्वविद्यालय के चांसलर हैं। कई मंत्री, वीआईपी और कॉरपोरेट दिग्गज उनसे योग सीखते हैं। वह मेरे भी गुरुजी हैं। उनके सानिध्य में मैंने तीन साल तक बंगलुरू में योग अनुसंधान कार्य किया है। आवर्तन ध्यान नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है और इस प्रकार काम में दक्षता लाता है। व्यस्त कार्यक्रम वाले लोगों के लिए यह एक अदभुत उपकरण है। हमारे शोध ने साबित किया है कि यह नींद की गुणवत्ता में काफी सुधार करता है। उन्होंने बताया कि युवाओं में मानसिक तनाव को कम करने के लिए सुप्रयास द्वारा तीन दिवसीय आवर्तन ध्यान शिविर का आयोजन गायत्री शिक्षा महाविद्यालय में 28 से लेकर 30 दिसंबर तक शाम को चार बजे से पांच बजे तक आयोजित किया गया। शिविर में 50 से अधिक युवक युवतियों ने भाग लेकर आवर्तन ध्यान का अभ्यास किया।