दंदरौआ धाम में शिवमहापुराण की कथा विश्राम के साथ गुरु महाराज के वार्षिक महोत्सव का हुआ समापन
भिण्ड, 02 दिसम्बर। मैं माता-पिता से कहना चाहता हूं कि अपने बच्चों को कार दिलाओ न दिलाओ, मगर शिव महापुराण की कथा कहती है कि अपने बच्चों में अच्छे संस्कार जरूर देना चाहिए। यह उद्गार दंदरौआ धाम में गुरु महाराज मंहत बाबा पुरुषोत्तम दास महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित 27वे वार्षिक महोत्सव के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले ने शिव महापुराण की कथा के अंतिम दिवस व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि इस संसार में मनुष्य को जितना रस कथा सुनने में नहीं आता, उतना रस चुगली करने में आता है। जब व्यक्ति का विनाश का समय आता है तो वह भगवान शंकर की बुराई करता है। संसार में जो शिव महापुराण की कथा को दिल से सुन लेगा उस व्यक्ति की समस्याओं का निवारण भगवान शंकर करते हैं। व्यक्ति को जब अहंकार हो जाता है तो वह अंहकार उसे व्यक्ति को समाप्त कर देता है। व्यक्ति को हमेशा किसी भी कार्य को प्रभु की कृपा से हुआ है कहना चाहिए। कई व्यक्ति कहते हैं कि मेरे पास प्रतिष्ठा है मेरे पास बहुत सा धन है लेकिन कभी किसी संत के पास जाना तो अपनी प्रतिष्ठा अपने धन से कोई मतलब नहीं रखना। संत को ना तो आपकी प्रतिष्ठा से कोई मतलब है ना ही आपके धन का कोई मतलब है।
कथा के अंत में महामण्डलेश्वर महंत रामदास महाराज ने बताया कि हमारे गुरू महाराज बडे तपस्वी थे। यह गुरू महाराज की तपस्या का फल है कि पं. प्रदीप मिश्रा को भगवान शंकर ने दंदरौआधाम में भेजा है। हमारे क्षेत्र वासियों ने पांच दिन की कथा सुनी है, मिश्रा जी ने कथा सुनाई इसलिए हम उनके ऋणी रहेंगे। हम मिश्रा जी को आशीर्वाद देते कि वे उन्नति के शिखर को छुएं। हमारे क्षेत्रवासियों ने तन, मन, धन सभी सहयोग दिया है, डॉक्टर हनुमानजी महाराज का शनिवार का श्रंृगार एवं भोग भक्त अंशु तिवारी इटावा द्वारा कराया गया।
शनिवार को अंतिम दिवस शिव महापुराण कथा का समय सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक रहा। यज्ञाचार्य पं. रामस्वरूप शास्त्री द्वारा अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए यज्ञ पूजन सुबह कराया गया। मुख्य यजमान एवं कथा पारीक्षित साधना-अखिलेश तिवारी तथा कार्यक्रम की व्यवस्था वृंदावन धाम के महंत राधिकादास महाराज की रही। कथा श्रवण के लिए कथा पण्डाल में महंत कालिदास महाराज तेजपुरा, रामवरन पुजारी, जलज त्रिपाठी, रामहरी शर्मा एडवोकेट, राहुल भदौरिया, भोलाराम शर्मा, अम्बरीश आचार्य, राजेन्द्र शास्त्री, पवन शास्त्री, धर्मेन्द्र पुजारी, नरसी दद्दा सहित लाखों की संख्या में महिलाएं और पुरुष मौजूद रहे।