सागर, 07 नवम्बर। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने बालिका को बहला-फुसलाकर ले जाने दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त हरिसिंह अहिरवार को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(3) में 20 वर्ष सश्रम कारावास, पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 506(भाग-2) में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, पाक्सो एक्ट की धारा 5(एल)/6 में 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया है। मामले की पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (पीडिता) ने आठ जून 2022 को थाना मोतीनगर में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि अभियुक्त हरिसिंह अहिरवार बार-बार उससे कहता था कि तुम हमसे बात कर लो। पांच जून को अभियुक्त पीडिता को बहला-फुसलाकर अपने घर ले गया और उसके साथ जबरजस्ती गलत काम किया तथा किसी को बताने पर पीडिता व उसके परिवार वालों को जान से मारने की धमकी दी। छह जून को भी अभियुक्त धमकी देकर बालिका को अपने घर ले गया और उसके साथ गलत काम किया और किसी को बताने पर जान से खत्म करने की धमकी दी, इसलिए उस दिन डर के कारण उसने घटना के बारे में किसी को नहीं बताया। आठ जून को बालिका ने पूरी घटना अपनी मां को बताई फिर उनके साथ पुलिस थाना जाकर रिपोर्ट की। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना मोतीनगर पुलिस ने धारा 376(2)(एन), 506 भादंसं तथा धारा 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।