स्वयं का अचिंत्य चिंतन ही समस्याओं का कारण : वानप्रस्थी

शहर के वाटर वक्र्स पर प्रज्ञापुराण के दौरान हो रहे प्रवचन

भिण्ड, 29 सितम्बर। श्रीराम महिला मण्डल द्वारा शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में वाटर वक्र्स भिण्ड में आयोजित पावन प्रज्ञापुराण के चौथे दिवस की कथा का शुभारंभ महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष कृष्णकांता तोमर द्वारा व्यासपीठ के पूजन के साथ हुआ।
व्यासपीठ वक्ता वानप्रस्थी ने भगवान विष्णु और देवऋषि नारद के संवाद के बारे में बताया कि नारद जी ने वर्तमान में धरती के मनुष्यों की दुर्दशा और अनगनित समस्याओं के प्रश्न के उत्तर में समाधान देते हुए बताया कि आज मनुष्य खुद के अचिंत्य चिंतन के कारण अपने लिए समस्याएं पैदा कर रहा है और उसके फलस्वरूप कष्ट और पीडा को भोग रहा है। अत: मनुष्य मात्र को सद्बुद्धि की देवी गायत्री के महामंत्र गायत्री मंत्र को अपनी उपासना का अनिवार्य अंग बनाना होगा। साथ ही युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा आज की समस्त प्रकार की समस्याओं के निवारण हेतु रचित 3200 पुस्तकों रूपी विपुल युग साहित्य को जन जन तक पहुंचना होगा।
उन्होंने कहा कि आज चारों ओर अनास्था के असुरों का साम्राज्य है। इसलिए भगवान को कण कण और सब जीव जगत में उसकी नित्य निरंतर उपस्थिति स्वीकारते हुए प्राणियों की सेवा के साथ ही भगवान की पूजा करनी होगी, तभी अनास्था आस्था में बदलेगी। उन्होंने व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण द्वारा मानव में देवत्व के उदय और धरती पर पुन: स्वर्ग की स्थापना का युगऋषि के संकल्प से जुडने हेतु सभी का आव्हान किया।