नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 10 वर्ष एवं दूसरे आरोपी को पांच वर्ष की सजा

सागर, 03 फरवरी। अपर-सत्र न्यायाधीश देवरी, जिला-सागर के न्यायालय ने नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी शिवदयाल गौड़ को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 3/4 के तहत 10 वर्ष का कठोर कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड तथा भादंवि 1860 की धारा 363, सहपठित धारा 120(बी) के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 366 क सहपठित धारा 120(बी) के तहत पांच वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड तथा आरोपी पंचू गौड़ को भादंवि 1860 की धारा 363 के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 366 क के तहत पांच वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। उक्त मामले की पैरवी वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी लक्ष्मीप्रसाद पटैल ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि कि फरियादी ने थाना गौरझामर में रिपोर्ट लेख कराई कि 10 सितंबर 2018 को सुबह 10 बजे नदी मछली पकडऩे गया था, उसकी पत्नि की तबीयत खराब होने से जैतपुर इलाज कराने आई थी, घर पर बड़ी एवं मझली लड़की थी, रात्रि में आठ बजे घर लौटा तो उसकी पत्नी से पूछा कि लड़की उम्र करीब 17 वर्ष छह माह नहीं दिख रही है, कहां गई है तो बोली कि मुहल्ला में टीव्ही देख रही होगी, फिर बच्ची की तलाश करने पर उसका कहीं पता नहीं चला, उसकी लड़की को गांव का कोई अज्ञात व्यक्ति बहला फुसलाकर भगाकर ले गया है। 12 सितंबर 2018 को पीडि़ता दस्तयाब किया गया तो उसने बताया कि वह घर पर अकेली थी, मां बाजार गई थी व पिताजी बकरी चराने गए थे, जब वह पानी भरने गई थी तो अभियुक्त पंचू और शिवदयाल उसे जबजस्ती गौरझामर ले गए, जहां अभियुक्त शिवदयाल ने उसके साथ गलत काम किया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना गौरझामर पुलिस नेभारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 363, 366क, 342, 368, 376 व पॉक्सो एक्ट 2012 की धारा 3/4, 5/6 व 16/17 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत अपर-सत्र न्यायाधीश देवरी जिला-सागर के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।