नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन सश्रम कारावास

सागर, 30 जनवरी। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर सुश्री नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी शिवम तिवारी निवासी अंतर्गत थाना शाहगढ़ को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पांच हजार हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा- 3(1)(डब्ल्यू)(आई) एससी/एसटी एक्ट 1989 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड एवं धारा-3(2)(व्ही) एससी/एसटी एक्ट 1989 के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने पीडि़ता को दो लाख रुपए प्रतिकर दिलाए जाने का आदेश पारित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/ बालिका के पिता ने 21 सितंबर 2021 को थाना शाहगढ़ में रिपोर्ट लेख कराई कि उनकी बालिका आयु करीब 16 वर्ष 20 सितंबर 2021 को घर से दिन के 11 बजे अपनी साइकिल से रोजाना की तरह पढऩे की कहकर विद्यालय गई थी, जो शाम 4:30 बजे तक घर नहीं पहुंची, जिसकी तलाश करने पर वह नहीं मिली, कोई अज्ञात व्यक्ति द्वारा उसकी पुत्री को बहला फुसलाकर भगा ले जाने की शंका है। करीब सवा महीने बाद बालिका को गुडग़ांव से दस्तयाव होने पर उसने बताया कि जब वह घर से स्कूल जा रही थी तभी रास्ते में अभियुक्त ने उसकी साइकिल छान ली और उसे बस से गुडग़ांव ले गया और उसे कमरे में रखकर उसके साथ गलत काम किया तथा अभियुक्त बालिका को छोड़कर शाहगढ़ आ गया, तब पुलिस ने मोबाईल ट्रेस कर अभियुक्त को हिरासत में लिया गया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना शाहगढ़ द्वारा धारा 366, 376, 376(2)(एन) भादंवि, 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही) एससी/एसटी एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।