मप्र आरक्षक ऑनलाइन भर्ती परीक्षा-2016 में फर्जीवाड़ा करने वाले तीन आरोपियों को सात-सात वर्ष का सश्रम कारावास

न्यायालय ने आरोपियों पर तीन-तीन हजार का अर्थदण्ड भी लगाया, दो आरोपी दोषमुक्त

सागर, 27 दिसम्बर। द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश जिला सागर श्री शिवबालक साहू की अदालत ने चर्चित मप्र आरक्षक ऑनलाइन भर्ती परीक्षा-2016 में फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपीगण प्रदीप यादव, संजय दुबे एवं रिंकू उर्फ नंदगोपाल तिवारी को दोषी करार देते हुए धारा 419, 420 भादंवि के तहत दो-दो वर्ष सश्रम कारावास व एक-एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 467, 473 के तहत सात-सात वर्ष सश्रम कारावास व तीन-तीन हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 468 के तहत तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास व एक-एक हजार रुपए अर्थदण्ड एवं मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा 3 व 4 के तहत दो-दो वर्ष सश्रम कारावास व एक-एक हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है एवं अन्य दो अभियुक्त विनय सिंह व संतोष को दोषमुक्त किया है। मामले की पैरवी अपर लोक अभियोजक आशीष चतुर्वेदी ने की।
जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने बताया कि 19 जुलाई 2016 थाना प्रभारी को भ्रमण के दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि होटल जयराम पैलेस में कुछ बाहरी लोग शहर में हो रही ऑनलाईन मप्र पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में परीक्षार्थियों की जगह परीक्षा देने ठहरे हुए हैं। उक्त सूचना पर होटल जयराम पैलेस मकरौनियां पहुंचे। होटल के काउंटर पर अटेंडेंट से जानकारी ली गई तो मिर्जापुर उप्र के बाहरी व्यक्तियों का ठहरे होना तथा उक्त होटल के कमरे संजय दुबे व अन्य के नाम पर 18 जुलाई 2016 से बुक होने की जानकारी दी गई। उक्त सुचना अनुसार रुके हुए व्यक्ति वहीं मिले, सभी से उनके नाम, पते एवं आने का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कोई संतोषप्रद उत्तर नहीं दिया, आरोपीगण ने अपना नाम संजय दुबे निवासी मिर्जापुर, संतोष कुमार मिश्रा निवासी चित्रकूट, रिंकू उर्फ नंदगोपाल निवासी मिर्जापुर, विनय सिंह निवासी इलाहाबाद एवं प्रदीप यादव निवासी इलाहाबाद होना बताया। आरोपीगण से पूछताछ किए जाने पर बताय कि मप्र पुलिस आरक्षक की आनॅलाईन परीक्षा में दूसरे अभ्यर्थी के स्थान पर प्रदीप यादव, विनय सिंह, संतोष मिश्रा को परीक्षा में सम्मिलत कराकर संबंधित को पास कराना था। रिंकू उर्फ नंदगोपाल को इन लोगों प्रदीप यादव, विनय सिंह, संतोष मिश्रा को संबंधित परीक्षा केन्द्र तक पहुंचाने का कार्य करना तथा इसके बदले में संजय दुबे द्वारा अभ्यर्थियों से लिए गए रुपयों में से परीक्षा में बैठने वाले को प्रति परीक्षा दस हजार रुपए देना तथा लाने, ले जाने वाले को पांच हजार रुपए देना बताया। प्रदीप यादव द्वारा रामसागर व इरफान की जगह पर, विनय सिंह द्वारा मेजर सिंह की जगह पर तथा संतोष यादव को पंचलाल व अवनीश सिंह की जगह पर बैठकर परीक्षा देना संजय दुबे ने तय किया था। प्रदीप यादव, विनय सिंह, संतोष यादव के पास संबंधित अभ्यर्थियों के परीक्षा कक्ष में प्रवेश से संबंधित दस्तावेज, संजय दुबे के पास से बहुत से अभ्यर्थियों के दस्तावेज, परिचय पत्र, पेन, अंगूठा निशानी का अंगुष्ठ चिन्ह की प्लास्टिक पट्टी जब्त हुई, आरोपियों द्वारा षडय़ंत्र रचकर आपराधिक कृत्य किया जाना पाए जाने पर उनके विरुद्ध धारा 419, 420, 468, 473, 120बी भादंवि के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विचारण के दौरान अपर लोक अभियोजक आशीष चतुर्वेदी ने साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपीगण के विरुद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश शिवबालक साहू की अदालत ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।