नाबालिग को बेचने वाले आरोपी को पांच वर्ष का सश्रम कारावास

न्यायालय ने आरोपी पर दो हजार का अर्थदण्ड भी लगाया

सागर, 27 दिसम्बर। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर सुश्री नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले जाकर बेचने वाले आरोपी रामभरत उर्फ भरत कुशवाहा निवासी थाना अंतर्गत खिमलासा को दोषी करार देते हुए धारा 363 भादंवि में पांच वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 368 में पांच वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड, अजा/जजा अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(अ) के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि बालिका के भाई/ सूचनाकर्ता ने 13 अप्रैल 2018 को थाना खिमलासा में बालिका को अज्ञात व्यक्ति द्वारा बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की रिपोर्ट लेख कराई। विवेचना के दौरान 16 जुलाई 2018 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने बताया कि अभियुक्त भागवती ने उसे भगाया था और अभियुक्त रामभरत उर्फ भरत और उसका साथी मोटर साइकिल पर उसे भगाकर ललितपुर ले गए थे व उन्होंने उसे अभियुक्त धरमा व अन्य फरार अभियुक्त के सुपुर्द कर दिया था तथा अभियुक्त धरमा ने उसे अभियुक्त ‘शी’ को 18 हजार रुपए में बेच दिया था, अभियुक्त धरमा ने उसके साथ मारपीट की थी। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया एवं अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना खिमलासा में धारा 366, 368, 376, 506, 372, 34 भादंसं एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(2)(अक), 3(2)(अ) अजा/जजा (अत्याचार निवारण) का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान पीडि़ता एवं उसके परिजन ने अन्य आरोपीगण के विरुद्ध घटना का समर्थन नहीं किया एवं आरोपी रामभरत के विरुद्ध घटना के संबंध में पीडि़ता एवं उसके परिवार ने कथन दिए। विचारण के दौरान अभियोजन ने साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी रामभरत के विरुद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला की अदालत ने दोषी करार देते हुए आरोपी को धारा 363 भादंवि के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 368 के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड, अजा/जजा अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(अ) के तहत पांच वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है।