पंच कल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन भगवान पद्मप्रभु को मिला मोक्ष

पद्मप्रभु के मोक्ष के उपरांत विश्व शांति यज्ञ हुआ, शोभायात्रा के साथ ऐतहार ग्रामीण मन्दिर में प्रतिमाएं हुई विराजित

भिण्ड, 25 दिसम्बर। मुनि श्री विनय सागर महाराज एवं ध्याननंद सागर महाराज के सानिध्य में हुए नवग्रह पंच कल्याणक महोत्सव का विश्व शांति महायज्ञ और शोभायात्रा के साथ समापन हुआ। महोत्सव के अंतिम दिन प्रभु का मोक्ष की ओर गमन हुआ। इस पूरे आयोजन में अनेक प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित किया गया। जिन्हें भिण्ड के पास ग्राम ऐतहार में स्थित श्री दिगंबर पद्मप्रभु नवग्रह जैन मन्दिर में स्थापित किया जाएगा। पंच कल्याणक महोत्सव कार्यक्रम में पाषाण से भगवान बनने की प्रक्रिया हुई, जो गर्भ कल्याणक से शुरू होकर और मोक्ष कल्याणक के रूप तक हुई।

मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति का होना चाहिए : विनय सागर

पंच कल्याणक महोत्सव में मुनि श्री विनय सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि श्रृद्धा के बिना किसी कार्य में सफलता नहीं मिल सकती, श्रृद्धा सफलता की नींव है। मोक्ष महल की सीढ़ी है, पुण्य आत्मा की भाग्य से भगवान का उपदेश होता है और नगर नगर में बिहार होता है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति का होना चाहिए, मोक्ष और स्वर्ग है या नहीं इस पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए, क्योंकि दिन है तो रात है, सुख है तो दुख है, स्त्री है तो पुरुष है, पुण्य है तो पाप है, इसी प्रकार संसार है तो मोक्ष है, स्वर्ग है तो नर्क है, क्योंकि हर चीज का जोड़ा होता है। प्रतिदिन तीन संसारी आत्माएं मोक्ष जाती हैं, यह क्रम अनादि काल से चल रहा है फिर भी संसार कभी खाली नहीं होता है।

ऐेंतहार जैन मन्दिर तक 51 गाडिय़ों से निकाली शोभायात्रा, मुनिश्री ने प्रतिमाओं को कराया विराजित

महोत्सव के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि पंच कल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन भगवान पद्मप्रभु को मोक्ष प्राप्ति के उपरांत शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा किले गेट से शुरू हुई, जिसमें उदयपुर के बैण्ड के साथ मुनि श्री विनय सागर महाराज ससंघ चल रहा था। बैण्ड के भजनों पर बालक और बालिकाएं नृत्य करते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा किला गेट से शुरू होकर गोल मार्केट, सदर बाजार से होती हुई कीर्तिस्तंभ पहुंची जहां से अपनी अपनी गडिय़ों से ग्रामीण ऐतहार जैन मन्दिर पहुंचे। मुनिश्री पैदल चल कर ऐंतहार पहुंचे। यहां मुनि श्री विनय सागर महाराज ने प्रतिमाओं का अभिषेक करवा कर धार्मिक क्रियाओं के प्रतिमाओं को वेदी में विजमान किया।

मोक्ष के उपरांत विश्वशांति यज्ञ व जिनबिंब प्रतिमाओं की शांतिधारा

पंच कल्याणक महोत्सव में सुबह जैसे ही पद्मप्रभु को पर्वत से निर्वाण के साथ मोक्ष हुआ। वही मुनि श्री विनय सागर महाराज ससंघ सानिध्य मे जिनबिंब प्रतिमाएं भगवान पद्मप्रभु, नमीनाथ, नेमिनाथ, पाश्र्वनाथ, मुनि सुव्रतनाथ, वासपूज्य, महावीर स्वामी, चंद्रप्रभु एवं मल्लीनाथ का प्रथम अभिषेक सुदामा जैन अहमदाबाद व मुन्नीबाई ऋषभ जैन मुरैना सहित इन्द्रों ने किया। वहीं शांतिधारा सरोज बोहरा एवं सुदामा जैन ने की। प्रतिष्ठाचार्य पं. अभिषेष कुमार जैन एवं सह प्रतिष्ठाचार्य पं. आशीष जैन, विजय शास्त्री ने मंत्रोच्चरण के साथ यज्ञनायक, सौधर्म इन्द्रा, कुबेर, महा यज्ञनायक, ईशान इन्द्र सहित इन्द्र-इन्द्राणियों ने विश्वशांति महायज्ञ में अग्नि प्रकाट कर पूरे विश्वशांति की यज्ञ कुण्ड में आहूति देकर विश्व की कामना करते हुए पूर्णाहूति दी।