नाबालिग से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को तीन वर्ष सश्रम कारावास

सागर, 07 दिसम्बर। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर सुश्री नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी केशव पाठक पुत्र ब्रजबिहारी निवासी रहली को दोषी करार देते हुए धारा 457 भादंवि के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 354 भादंवि के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा- 3(1)(डब्ल्यू)(आई) एससी/ एसटी एक्ट 1989 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही-ए) एससी/ एसटी एक्ट 1989 के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि फरियादिया ने रिपोर्ट लेख कराई कि आठ मई 2020 को वह रात में घर पर उसकी मां एवं उसके भाई के साथ अंदर कमरे में दरवाजा बंद करके सो रही थी। मेरे पिता घर पर नहीं थे, रात करीब 1:30 बजे अचानक किसी व्यक्ति ने बुरी नियत एवं छेड़छाड़ करने की नियत से उसके चेहरे पर हाथ लगाया एवं उसका बाया हाथ पकड़कर अपनी ओर खीचा। मैं चिल्लाई तो बगल में सो रही मेरी मां एवं भाई जाग गए, जिन्हें देखकर वह व्यक्ति वहां से घर की सीडिय़ों की तरफ भागा, जिसे बल्व की रोशनी में देखा कि वह व्यक्ति उसके घर के पास में रहने वाला अभियुक्त केशव पाठक है, जो अच्छी तरह से जानता है कि वह अनुसूचित जाति की है। अभियुक्त केशव पाठक घर की सीडिय़ों से कूदकर वहां से वह भाग गया, फिर मैंने अपने पिता को फोन करके घटना बताई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना रहली पुलिस ने धारा 458, 354 भादंवि एवं 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही) एससी/ एसटी एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अंतिम तर्क के दौरान न्यायदृष्टांत प्रस्तुत किए गए और अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्तानुसार दण्डित किया है।