नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का सश्रम कारावास

सागर, 04 अगस्त। नवम् अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सागर के न्यायालय ने आरोपी प्रेम पुत्र लखन अहिरवार उम्र 25 साल निवासी थाना सुरखी, जिला सागर को धारा 363 भादवि में दोषी पाते हुए सात साल का सश्रम कारावास व 500 रुपए का अर्थदण्ड तथा धारा 366 एवं 376(2)(एन) भादवि सहपठित धारा 5/6 पाक्सों एक्ट के साथ संयुक्त रूप से दोषी मानते हुए 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। प्रकरण राज्य शासन की ओर से वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती प्रियंका जैन ने पक्ष रखा।
लोक अभियोजन के मीडिया प्रभारी/ एडीपीओ जिला सगर सौरभ डिम्हा ने बताया कि 15 अप्रैल 2017 को अभियोक्त्री की मां ने थाना मोतीनगर मे रिपोर्ट लेख कराई कि उसकी 16 वर्षीय नाबालिग बेटी घर से कही चली गई है, आस-पास पता किया जो नहीं मिली, फरियादिया को संदेह है कि कोई अज्ञात व्यक्ति उसे बहला-फुसला कर ले गया। उक्त रिपोर्ट पर से थाना मोतीनगर में धारा 363 भादवि के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान 28 अप्रैल 2017 को अभियोक्त्री को दस्तयाव कर चिकित्सीय परीक्षण तथा न्यायालयीन कथन करा कर परिवार को सुपुर्द किया गया। विवेचना के दौरान अभियोक्त्री ने कथनों में बताया कि आरोपी उसे शादी का झांसा देकर बहला-फुसला कर ले गया था एवं जबरजस्ती उसके साथ बलात्संग किया। उक्त कथनों एवं अभियोक्त्री का नाबालिग से संबधित आयु दस्तावेज प्रस्तुत किए गए एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपी पर धारा 366, 376 भादवि एवं 5/6 पॉक्सों एक्ट का इजाफा किया गया। विवेचना के दौरान विवेचना अधिकारी द्वारा घटना से परिचित साक्षियों के कथन लेखबद्ध किए गए एवं प्रकरण से संबधित महत्वपूर्ण साक्ष्य एवं वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित किए गए। आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया एवं उसका डीएनए परीक्षण कराया गया। विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। न्यायालय के समक्ष अभियोजन अधिकारी ने महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए एवं प्रकरण में अभियुक्त को संपूर्ण विवेचना के आधार पर संदेह से परे प्रमाणित कराया। दण्ड के प्रश्न पर उभय पक्ष को सुना गया जिसमें बचाव पक्ष द्वारा तर्क दिया गया कि आरोपी नवयुवक है, गरीब है, उसने अभियोक्त्री से प्रेम विवाह किया है व उसके घर में रह रही है, यदि इस प्रकरण में आरोपी को जेल भेज दिया जाता है तो अभियोक्त्री निराश्रित हो जाएगी और उसका छोटा बच्चा और वह आश्रय विहीन हो जाएंगे और उसका भरण पोषण संभव नहीं होगा। विद्वान अभियोजन अधिकारी ने तर्क दिया कि आरोपी के द्वारा नाबालिग अभियोक्त्री के संग बलात्संग किया है और वर्तमान में इस प्रकार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। भारतीय सामाजित व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में इस प्रकार के कृत्य के दोषी को अधिकतम दण्ड से दण्डित किया जाना चाहिए ताकि समाज को संदेश जा सके। इस प्रकरण में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी रहा कि अभियोक्त्री के न्यायालय में कथन होने के उपरांत आरोपी पक्ष से समझौता का आवेदन भी प्रस्तुत किया गया, किंतु अभियोक्त्री की आयु व अपराध की गंभीरता को देखते हुए समझौता आवेदन को निरस्त करते हुए न्यायालय द्वारा उक्त प्रकरण के तथ्य, परिस्थितियों को देखते हुए एवं अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी प्रेम पुत्र लखन अहिरवार उम्र 25 साल निवासी थाना सुरखी जिला सागर को धारा 363 भादवि में दोषी पाते हुए सात साल का सश्रम कारावास व 500 रुपए का अर्थदण्ड तथा धारा 366 एवं 376(2)(एन) भादवि सहपठित धारा 5/6 पॉक्सों एक्ट के साथ संयुक्त रूप से दोषी मानते हुए 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।