विधानसभा में पेंशन की आवाज उठाने हेतु विधायकों को ज्ञापन सौंपेंगे एक को

भिण्ड, 28 जुलाई। न्यू मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन संघ भिण्ड महिला प्रकोष्ठ कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती अंजू शर्मा ने सभी एनपीएस साथियों से अपील की है कि प्रांतीय अध्यक्ष सतेन्द्र सिंह तिवारी के आह्वान पर एक अगस्त को मप्र के सभी विधायकों के घर जाकर विधानसभा सत्र के पहले 2005 से बंद की गई पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने हेतु विधानसभा सत्र में चर्चा एवं आवाज उठाने हेतु पेंशन एनपीएस से मिलने वाली 500 रुपए पेंशन के कारण सेवानिवृत्ति होने वाले शासकीय कर्मचारियों की आर्थिक दुर्दशा का वीडियो क्लिप समाचार पत्र के साथ, पेंशन योजना बहाल करने हेतु ज्ञापन सौंप कर विधानसभा के मानसून सत्र में आवाज उठाने की मांग करेंगे।
उन्होंने बताया कि इसके पूर्व भी ग्रीष्मकालीन सत्र के पूर्व 31 जनवरी 2021 को भी प्रदेश के सभी विधायकों के घर-घर जाकर ज्ञापन सौंपा गया था, मप्र सरकार ने पूर्व की मिलने वाली पुरानी पेंशन व्यवस्था को क्र./एफ-9/3/2003/नियम/चार, भोपाल 13 अप्रैल 2005 को आदेश जारी कर राज्य शासन के अधीन एक जनवरी 2005 से पुरानी पेंशन व्यवस्था बंद कर नवीन पेंशन योजना लागू की है, जिसमें कर्मचारियों के वेतन से 10 प्रतिशत तथा उतनी ही राशि सरकार अपने अंशदान से जमा करती है, पूरा पैसा शेयर बाजार में लगाया गया है, सेवानिवृत्ति होने पर 60 प्रतिशत राशि निकासी का प्रावधान है, जबकि शेष 40 प्रतिशत जमा राशि के ब्याज को प्राइवेट कंपनियों के हवाले से पेंशन के रूप में दिया जाता है, जिसके तहत 500 रुपए पेंशन प्राप्त होती है, जिससे सेवानिवृत्ति के समय दूध तक खरीदने हेतु राशि पर्याप्त नहीं होती।
अंजू शर्मा ने बताया कि मप्र में निरंतर आंदोलन के माध्यम से पूर्व की भांति मिलने वाली पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने हेतु शासन से मांग किया जा रहा है। इसके पूर्व 28 जून को पूरे प्रदेश से सभी पेंशन विहीन शासकीय कर्मचारियों द्वारा पांच लाख पोस्टकार्ड महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष के नाम भेजकर पेंशन बहाली की मांग की गई थी। इसके पूर्व भी लगातार आंदोलन जारी रहा, मप्रा के सभी जिलों से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन, राजधानी भोपाल में एक दिवसीय प्रदर्शन, पूरे प्रदेश में आठ मार्च महिला अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर महिला शासकीय कर्मचारियों द्वारा कोरोना सम्मान नहीं पेंशन दो रैली निकालते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था, परंतु सरकार द्वारा अनसुना किया जा रहा है। एक तरफ एक दिन का भी विधायक सांसद बनने पर पेंशन योजना, जितने बार पद उतने पेंशन, उधर सरकारी कर्मचारियों को तीस वर्षों की सेवा उपरांत पेंशन बंद कर आंसू पोंछने के लिए एनपीएस और पेंशन की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनियों को कहां का न्याय है, विधानसभा के मानसून सत्र में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली हेतु प्रदेश के सभी विधायकों के घर जाकर मांग की जाएगी कि शासकीय कर्मचारियों के बुढ़ापे की आर्थिक समस्या को विधानसभा में उठाएं, चर्चा में लाएं और प्रदेश के लगभग छह लाख सरकारी कर्मचारियों की बंद की गई पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल कराकर बुढ़ापे की सुरक्षा प्रदान करें।