तिरंगा अभियान के नाम पर पंचायत सचिवों से वसूली, मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल

भिण्ड, 30 जुलाई। जनपद पंचायत गोहद में हर घर तिरंगा अभियान के नाम पर भी प्रशासनिक अधिकारी धन उगाही में लगे हैं। इस बात का खुलासा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी दिनेश शाक्य द्वारा उनके मोबाइल फोन के जरिए सोशल मीडिया पर बनाए गए पंचायत सचिवों के ग्रुप पर किए गए मैसेज से हुआ है। सीईओ द्वारा फॉरवर्ड मैसेज में लिखा गया है कि सभी सचिव हर घर तिरंगा अभियान अंतर्गत प्रत्येक पंचायत में तिरंगा क्रय करने पांच हजार रुपए जनपद में नगद जमा कर रसीद प्राप्त करें, जिससे जिला कार्यालय से तिरंगा क्रय किए जा सके।
इस मैसेज के जरिए उन्होंने गोहद जनपद के अंतर्गत आने वाली करीब 88 पंचायतों के ग्राम सचिवों से पांच-पांच हजार रुपए (लगभग चार लाख 40 हजार का कलेक्शन) मांगे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि तिरंगा अभियान जैसे शासकीय कार्यक्रम के लिए सचिवों से रुपए किस बात के वसूल किए जा रहे हैं। सीईओ द्वारा किया गया फॉरवर्ड मैसेज है, जिसे किसी दूसरे व्यक्ति के मैसेज को आगे बढ़ाया गया संदेश है। मैसेज का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
बता दें कि शासकीय कार्य से संबंधित सामग्री की खरीद और आयोजन के लिए शासन द्वारा निर्धारित मद उपलब्ध कराया जाता है। मद उपलब्ध ना होने पर जन सहयोग की अपील की जाती है और कार्य होने पर पंचायत राशि से उसका भुगतान किया जाता है, जो ईपीओ (इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ऑर्डर) के माध्यम से किया जाता है। किसी सरकारी कार्य में (जन सहयोग छोड़कर) नगद राशि का प्रावधान नहीं है। जिला पंचायत सीईओ जेके जैन ने बताया कि शासन के निर्देश पर हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में गरीब और असहाय लोगों के घरों पर तिरंगे मुफ्त लगाए जाने के लिए पंचायत निधि का उपयोग कर 250 झण्डों तक खरीदने के निर्देश दिए हैं। इन तिरंगों की खरीदी के लिए सभी परिषद, नगर पालिका और जनपदों में संकुल समितियों से संपर्क कर झण्डे उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। बड़े झण्डे की अनुमानित क्रय राशि 18 से 20 रुपए है, जिसका भुगतान पंचायत और निकाय निधि से ही किया जाना है।
जब इस संबंध में कुछ पंचायत सचिवों से उनके मोबाइल पर संपर्क कर जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि जनपद वाले ग्रुप में सूचना डली तो है, अभी जमा नहीं कराए हैं, एक दो दिन में करवा देंगे। वहीं जब जनपद सीईओ और जिला पंचायत सीईओ से उनके मोबाइल पर जानकारी करने के लिए संपर्क करना चाहा तो दोनों में से किसी ने भी कॉल रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा।