सागर, 20 जुलाई। न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी सागर ने न्यायालय ने अभियुक्त श्रीमती उमारानी पत्नी जगमोहन कुर्मी उम्र 45 वर्ष तथा जगमोहन पुत्र कुंवरमन कुर्मी उम्र 47 वर्ष निवासी ग्राम अनंतपुरा, तहसील रहली, जिला सागर को न्यायालय में मिथ्या कथन देने के आरोप में दोषी पाते हुए धारा 193 भादंसं के अंतर्गत एक-एक वर्ष का कठोर कारावास और 500-500 रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अमित जैन (जूनि) ने की।
अभियोजन के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने बताया कि न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सागर के सत्र प्रकरण में छह फरवरी 2007 में पारित निर्णय अनुसार अभियोक्त्री और उसके पति को धारा 340 दंप्रसं के अंतर्गत नोटिस दिया गया कि क्यों न उसके विरुद्ध न्यायालय में असत्य कथन करने के आधार पर या असत्य कार्रवाई करने के आधार पर उन्हें अभियोजित किया जाए। उक्त नोटिस के जवाब संतुष्टिजनक न होने से न्यायालय ने अभियुक्तगण के विरुद्ध हस्तगत प्रकरण में प्रस्तुत परिवाद संस्थित करने का आदेश पारित किया तथा उक्त आदेश के आधार पर हस्तगत प्रकरण अभियुक्तगण के विरुद्ध धारा 193 भादंसं के अंतर्गत अपराध का प्रकरण पंजीबद्ध कर उन्हें सूचना पत्र प्रेषित किया गया। साक्ष्य विवेचना के आधार पर अभियोजन अभियुक्तगण के विरुद्ध यह युक्तियुक्त संदेह के परे प्रमाणित करने में सफल रहा है कि अभियुक्तगण ने तृतीय अपर सत्र न्यायालय सागर में 18 सितंबर 2006 को सत्र प्रकरण क्र.155/05 के विचारण के दौरान साक्ष्य में ऐसा कथन किया जिसके बारे में उन्हें ज्ञात था कि वह मिथ्या है। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत सबूतों और दलीलों से सहमत होते हुए अभियुक्तगण को धारा 193 भादंवि अंतर्गत एक-एक वर्ष के कठोर कारावास और 500-500 रुपए जुर्माने से दण्डित करने का निर्णय पारित किया है।