विश्रांत सागर महाराज की कलश चातुर्मास स्थापना में उमड़ा जनसैलाव

भक्तों ने बढ़-चढ़कर लगाई कलशों की बोलियां

भिण्ड, 17 जुलाई। भारत गौरव गणाचार्य विराग सागर महाराज के परम शिष्य मुनि विश्रांत सागर महाराज, मुनि विनिमेष सागर महाराज ससंघ का मंगल कलश चातुर्मास स्थापना कार्यक्रम चैत्यालय जैन मन्दिर स्थित ऋषभ भवन में अयोजित किया गया। जिसमें मप्र के कई स्थानों से पधारे भक्तों ने मंगल कलश सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र कलश की बोलियां लगाईं। जिसमें दो बोलियां गुप्त रखी गईं एवं एक बोली राकेश जैन तेंदुखेड़ा परिवार ने ली।


इस अवसर पर मुनि श्री विश्रांत सागर महाराज ने कहा कि जैन संत 12 महीने में आठ माह जगह-जगह विहार करते हुए जैन दर्शन की प्रभावना करते हैं एवं बरसात के समय चार महीने एक स्थान पर रुक जाते हैं, इसलिए इसे चौमासा या चातुर्मास कहते हैं। बारिश के समय जीवों की उत्पत्ति होती है, साथ ही हरियाली होती है। जैन संत जीवों की हिंसा न हो, इसलिए एक जगह अपनी साधना करते हैं, पहले साधु नगर में नहीं जंगल में चातुर्मास करते थे, लेकिन आज कल नगर में चातुर्मास करते हैं, तो धर्म प्रभावना होती है, जो अपनी जैन संस्कृति को बढ़ाने के लिए जरूरी है। जैन संत का चातुर्मास जहां होता है वहां का वातावरण धर्ममय हो जाता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि दिगंबर संतों की साधना कितनी कठोर होती है, जहां संतों का चातुर्मास होता है वहां समाज में ज्ञान की वृद्धि होती है। जैन संत जन-जन का जगाने के लिए आते हैं, जहां संतों का चातुर्मास हो रहा है और आपने कुछ ज्ञान अर्जन नहीं किया तो आपने कुछ नहीं किया।
इस अवसर पर डिप्टी कलेक्टर पराग जैन, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रविसेन जैन, रतनलाल जैन, अशोक जैन महामाया, महेन्द्र जैन, सुरेन्द्र जैन, निर्मल चंद्र जैन, चक्रेश जैन, विमल जैन, वीरेन्द्र पण्डित, अगरचंद जैन, महेश पहाडिय़ा, राजू जैन, प्रवीण जैन, राकेश मंत्री, अंकित जैन, निक्कूर जैन, सोनू जैन, आनंद जैन, बीरे जैन, मनोज जैन, सुनील शक्कर, सजल जैन एवं काफी संख्या में महिला-पुरुष एवं बच्चे उपस्थित थे।