जहां भक्तों की भावना प्रबल होती है वहीं चतुर्मास होता है : विरम्या माताजी

आर्यिकाश्री के सानिध्य में वात्सल्यमय पावन वर्षयोग की हुई कलश स्थापना
चातुर्मास मंगल कलश स्थापना में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए

ग्वालियर, 14 जुलाई। भक्तों की भक्ति ही चातुर्मास करा सकती है, जहां भक्तों की भावना प्रबल होती है वहीं चतुर्मास होता है। मामा का बाजार के इतिहास में भक्तों का चातुर्मास का पुण्य जगा वो बड़े ही सौभाग्यशाली होते है। हमें चातुर्मास में अपने बच्चों को अपने धर्म और पूजा के प्रति आदर भाव रखना सिखाएंगे ताकि वे अन्य मतों की ओर ना जाएं। यह विचार श्रमणी आर्यिका श्री विरम्या माताजी ने गुरुवार को मामा का बाजार स्थित ऋषभ धर्मशाला में वात्सल्यमय चातुर्मास कलश स्थापना समारोह में धर्मसभ को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।


श्रमणी आर्यिका श्री विसंयोजना माताजी ने कहा कि चातुर्मास आत्म कल्याण करने का पर्व है, बारिश होने से जीवों की उत्पत्ति होती है, इसलिए जैन साधु का विहार निषेध है। एक जगह रहकर धर्म उपदेश देकर धर्म आराधना करके आत्म कल्याण करना चाहिए। चातुर्मास जीवन को बदलने और स्वयं को जानने का अवसर देता है। दोनों आर्यिकाश्री माताजी के चरणों मे वात्सल्यमय वर्षयोग समिति के मुख्य संयोजक भरत वेराग्गी, पारस जैन, पं. चंद्रप्रकाश जैन, सुनील भण्डारी, बसंत जैन, डीके जैन, प्रकाशचंद जैन, राजेश जैन, अंनत जैन एवं जैन समाज की अनेकों संस्थाओं के साथ उपग्वालियर, मुरार, लश्कर ने सामूहिक रूप से श्रीफल भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन आदित्यमणि जैन एवं पं. चंद्रप्रकाश जैन ने किया।

इन्होंने किया कलश स्थापना समारोह कार्यक्रम का शुभारंभ

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि कलश स्थापना का शुभारंम जैन ध्वजरोहण सुरेशचंद जैन सीएमओ परिवार ने किया। आचार्य श्री विराग सागर महाराज के चित्र का आवरण लालमणि प्रसाद संजयमणि वरैया एवं चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित सुभाष शीला जैन परिवार तथा आर्यिकाश्री को शास्त्र भेंट सुरेशचंद गीता जैन एवं सुदर्शन साधन जैन परिवार ने किया। स्वागत उद्बोधन मुख्य संयोजक भरत जैन वेराग्गी एवं भक्ति नृत्य श्रमण संस्कृति संस्थान की सुनयना जैन, नीतू, अलका व मानव जैन ने सामूहिक व बालिकाओं ने सांस्कृतिक भक्ति नृत्य प्रस्तुतियां दीं।

आर्यिकाश्री ने गुरू विराग सागर पूजन कराया

प्रवक्ता सचिन आदर्श कलम ने बताया कि श्रमणी आर्यिका श्री विरम्या माताजी एवं श्रमणी आर्यिका श्री विसंयोजना माताजी ने मंत्रोच्चरण के साथ आचार्य श्री विराग सागर महाराज का महापूजन जैन समाज के लोगों एवं विभिन्न संस्थाओं ने जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद, दीप, धूप, फल एवं महाअघ्र्य हाथों में सजी हुई अष्टद्रव से अर्घ समर्पित करवाएं। गुरुदेव के जयकारों के साथ गूंज उठा और संगीतकार अनुपमा जैन सुरत्न के भक्तिमय भजन दीवान गुरुवर का जाप गुरुवर का नाम दीवान गुरुवर… गुरुवर की सूरतिया लगे प्यारी प्यारी… गुरुवर हम तो दीवाने है तेरे… मुझे लगी गुरुसंग प्रीत की दुनिया क्या जाने… भजनों पर भक्ति की।

इन्हें मिला चतुर्मास भव्य मंगल कलश स्थापन करने का पुण्य

प्रथम सम्यक दर्शन कलश राजेश संगीत जैन परिवार, दूसरा सम्यक ज्ञान कलश सुरेशचंद जैन, राजीव, संदीप (सीएमओ) परिवार, तीसरा सम्यक चरित्र कलश देवेन्द्र, राजेश कुमार, रामकुमार जैन परिवार। चौथा विरागोदय तीर्थ कलश अशोक कुमार, विनोद कुमार जैन सुपर परिवार मुरार। पांचवा पाश्र्वनाथ कलश भरत कुमार वेरग्गी, अमित जैन परिवार ग्वालियर। चतुर्मास लकी ड्रॉ कलश अनीता जैन परिवार से आर्यिकाश्री ने मंत्रो के साथ विधि विधान के साथ मंगल कलश की स्थापना कराई गई।