मानसिक रोगियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए : मिश्रा

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्य शासन के सहयोग से कार्यशाला आयोजित

ग्वालियर, 13 जुलाई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधिपति अरुण मिश्रा ने कहा कि मानसिक रोगियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए। उनका भी सामान्य मनुष्य की तरह मानव अधिकार है। मानसिक आरोग्य शालाओं में उपचार करा रहे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ आदर्श सुविधाएं भी मुहैया होना चाहिए। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्य शासन के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने यह बात कही। बुधवार को ग्वालियर के एक स्थानीय होटल में आयोजित कार्यशाला में आरोग्यशाला को और बेहतर बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इस मौके पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य महेश मित्तल कुमार, राजीव जैन व सचिव देवेन्द्र कुमार सिंह, प्रधान जिला न्यायाधीश प्रेम नारायण सिंह एवं सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव प्रतीक हजेला, आयुक्त स्वास्थ्य सुदाम खाण्डे, संचालक चिकित्सा शिक्षा जितेन्द्र शुक्ला, संभागीय आयुक्त आशीष सक्सेना, आईजी श्रीनिवास राव, कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह सहित मानसिक आरोग्य शाला के चिकित्सक और विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधिपति अरुण मिश्रा ने कहा कि ग्वालियर के मानसिक आरोग्य शाला को आदर्श बनाने के लिए एक दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार की जाए। आरोग्य शाला में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ मरीजों के लिए भी आदर्श सुविधाएं उपलब्ध हों। आरोग्य शाला में मरीज को इलाज के साथ-साथ योग एवं अन्य थैरेपियों के माध्यम से भी इलाज हो, ऐसे भी प्रबंध किए जाएं।
आयोग के अध्यक्ष मिश्रा ने यह भी कहा कि मानसिक आरोग्य शाला में ठीक हुए मरीजों को उनके परिवार तक पहुंचाने के लिए समाज की सोच में परिवर्तन लाने की भी पहल की जाना चाहिए। ठीक हुए मरीजों को जिनके परिजन नहीं ले जा रहे हैं, उन्हें कानून के दायरे में लाकर निर्देशित किया जाना चाहिए ताकि वे अपने परिजनों को घर ले जा सकें। मानसिक रोगियों को भी ठीक होने के पश्चात समाज में उचित स्थान मिले और वह सामान्य मनुष्य की तरह अपना बेहतर जीवन जी सकें, इसके लिए शासकीय प्रयासों के साथ-साथ समाज के लोगों को भी आगे आकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मानसिक आरोग्य शाला का बेहतर विकास हो, इसके लिए धन की कमी नहीं है। हमें बेहतर कार्ययोजना तैयार कर उसका क्रियान्वयन तेजी से करने की जरूरत है।
कार्यशाला के प्रारंभ में आयुक्त स्वास्थ्य सुदाम खाण्डे ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग एवं राज्य सरकार के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में बेहतर सुझाव प्राप्त होंगे। राज्य शासन की ओर से मानसिक आरोग्य शालाओं को और बेहतर बनाने की दिशा में कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मानसिक रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ अच्छी सुविधाएं मिलें, इसके लिए भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्य किया जाएगा।
जिला न्यायाधीश पीएन सिंह ने कहा कि मानसिक आरोग्य शालाओं में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और मरीजों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों इसके लिए शासकीय स्तर पर बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। समाज के लोगों को भी ऐसे मरीज जो स्वस्थ हो गए हैं उन्हें वापस अपने घर ले जाकर समाज की मुख्य धारा से जोडऩे का कार्य करना चाहिए। कार्यशाला में मानव अधिकार आयोग के सदस्यों ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में मानसिक आरोग्य शाला के बेहतर क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए।
अंत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधिपति अरुण मिश्रा ने कहा कि सभी के सुझावों को शामिल करते हुए आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। उन्होंने संभागीय आयुक्त आशीष सक्सेना से कहा कि वे मानसिक आरोग्य शाला की दीर्घकालिक योजना तैयार कराएं ताकि ग्वालियर में आदर्श मानसिक आरोग्य शाला बन सके और मरीजों का बेहतर उपचार कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोडऩे का कार्य किया जा सके।