कृषि उपज मण्डी प्रबंधन को सलाना लाखों की आय, सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं

भिण्ड, 03 जुलाई। शहर की थोक एवं खेरीज सब्जी मण्डी से भिण्ड कृषि उपज मण्डी प्रबंधन को साल में करीब 15 लाख रुपए की आय होती है, लेकिन मण्डी में सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। मण्डी प्रबंधन द्वारा मण्डी विकास पर एक पैसा भी खर्च नहीं किया जाता। तीन सालों से मण्डी में मेंटीनेंस के नाम पर सिर्फ सीसी सड़क बनवाई गई है। इतना ही नहीं मण्डी में नियमित सफाई नहीं होती है। जिससे दुकानदारों के अलावा ग्राहकों को भी परेशानी हो रही है।
ज्ञात हो कि शहर की सब्जी मण्डी में प्रतिदिन चार से पांच हजार से अधिक लोग सब्जी खरीदने के लिए आते हैं। गंदगी के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा यहां घूमने वाले आवारा मवेशियों से न केवल सब्जी विक्रेताओं को परेशानी होती है। बल्कि ग्राहकों को भी परेशानी होती है। मण्डी की देख-रेख की जिम्मेदारी नगर पालिका की है, जबकि सुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी मण्डी प्रबंधन की है।

नपा और मण्डी प्रबंधन वसूलता है सब्जी वालों से कर

नगर पालिका मण्डी वसूली के रूप में हर साल लगभग पांच लाख रुपए कर वसूलती है। इस पांच लाख की आय को नपा अपने खाते में जमा कर देती है। वहीं कृषि मण्डी प्रबंधन भी व्यापारियों से कर के रूप में करीब 15 लाख रुपए सालाना वसूल करता है। सब्जी विक्रेताओं से सफाई और सुरक्षा आदि के नाम पर अलग से कर वसूली की जाती है। लेकिन बदले में सब्जी विक्रेताओं को आवश्यक सुविधाएं नहीं देती।

मण्डी क्षेत्र में बीमारियों का खतरा

सब्जी मण्डी के आस-पास करीब दो सैकड़ा परिवार निवास करते हैं। इन परिवारों का अपने घरों में रहना तक मुश्किल हो गया है। यहां के आम रास्तों में सड़ी गली सब्जी की मोटी-मोटी परतें जमा हो गई हैं। साथ ही बदबू भी आती है। इससे बीमारी फैलने का खतरा बढ़ गया है।

दिन में नहीं बचती निकलने की जगह

जिस जगह सब्जी मण्डी लगती है, वहां दिन के समय निकलने के लिए जगह नहीं बचती है। हालत यह है कि एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में ग्राहकों को आधा घण्टे का समय लग जाता है। चूंकि मण्डी में सब्जी विक्रेताओं की संख्या अधिक है। इसलिए वहां सब्जी विक्रेताओं को रास्ते में बैठना पड़ रहा है। मण्डी में अगर चबूतरे बन जाएं तो जगह का संकट खत्म हो जाएगा।

इनसे होती है आय

– मण्डी वसूली से कृषि मण्डी प्रबंधन को करीब 15 लाख रुपए की आय होती है।
– मण्डी में साइकिल स्टैण्ड आदि के ठेकों से भी आय होती है। लेकिन यहां ठेका नहीं दिया जाता है।
– मण्डी से निर्यात कर भी मण्डी को मिलता है।
-सिर्फ कागजों में होती है सफाई।
– नपा ने मण्डी क्षेत्र में सफाई के लिए सफाई कर्मी लगाए हुए हैं।
– ये सफाई कर्मी बिना काम का वेतन पा रहे हैं।
– दो-चार महीने में मण्डी के चारों ओर जेसीबी घुमाने के बाद सफाई पर फर्जी व्यय दर्शा दिया जाता है।
– सिर्फ कागजों में ही मण्डी का मेंटीनेंस किया जा रहा है।

नगर पालिका को यह करना चाहिए

– मण्डी अल सुबह शुरू हो जाती है। ऐसे में मण्डी में रात के समय सफाई व्यवस्था होनी चाहिए।
– मण्डी की सफाई के लिए नियुक्त सफाई कर्मी अगर सफाई नहीं कर रहे हैं तो उन पर कार्रवाई हो।
– मण्डी में आने वाले लोगों के लिए पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, साथ ही यहां घूमने वाले आवारा पशुओं के लिए रैलिंग लगवानी चाहिए। जिससे आवारा पशु मण्डी में न घुस पाएं।
– आवश्यक इंतजामों पर आय का कुछ हिस्सा हर साल खर्च किया जाए।

इनका कहना है-

सब्जी मण्डी में दिन के समय निकलने तक के लिए जगह नहीं बचती है, मण्डी प्रबंधन को सब्जी मण्डी की व्यवस्थाओं पर ध्यान देना चाहिए।
महेश कुमार, ग्राहक
सब्जी मण्डी में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है, सर्वाधिक परेशानी पानी व पार्किंग न होने से होती है।
सुनील सिंह, पुरानी बस्ती
मण्डी में दुकानदारों एवं ग्राहकों की सुविधा के लिए नपा हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अगर वहां नियमित सफाई कर्मी नहीं पहुंच रहे हैं तो मैं इसे दिखवाता हूं।
वीरेन्द्र तिवारी, सीएमओ नपा भिण्ड