बिना मांगे धर्म का दान देना ही सबसे बड़ा पुण्य है : विनय सागर

मुनिश्री के सानिध्य में वेदी शिखर शुद्धि एवं शिखर कलश रोहण कार्यक्रम शुरू
महिलाओं ने गाजे-बाजे के साथ निकाली कलश यात्रा, वेदी व शिखर की हुई शुद्धि

ग्वालियर, 30 जून। व्यक्ति को अपने जीवन में धर्म के बुलावे व दान के मांगने का इंतजार नहीं करना चाहिए, यहां तो बिना बुलाए जाना व बिना मांगे दान देना ही सबसे बड़ा पुण्य है। धर्म के कार्यों में भक्त को अपनी श्रृद्धा से भी ज्यादा दान देने का भाव रखना चाहिए, यह भाव उसके पुण्यार्थ को ओर अधिक बढ़ा देता है, जितना वह धर्म को देता उससे भी ज्यादा उसके जीवन में बढ़ता जाता है। धर्म दान में भक्त की श्रृद्धा ही काम आती है। यह विचार श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ने गुरुवार को गुड़ागुड़ी का नाका स्थित नवीन श्री पाश्र्वनाथ जैन वरैया मन्दिर के वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।


इस अवसर पर क्षुल्लक श्री समपर्ण सागर महाराज ने कहा कि श्रृद्धा, आस्था और विश्ववास का भव्य मन्दिर ऊर्जा का संचालन कर रहा है। धर्म से ही पुण्य का संचार होता है। महोत्सव के प्रतिष्ठाचार्य पं. अजित कुमार शास्त्री व सह प्रतिष्ठाचार्य चंद्रप्रकाश जैन का सम्मान अंग वस्त्र भेंटकर आचार्य आमंत्रण मन्दिर कमेटी के विजय जैन, डालचंद जैन, सतीश जैन, मुकेश जैन, धरम वरैया, नरेन्द्र जैन, सुधीर जैन, अनुराग जैन नरेश जैन ने किए। मुनिश्री के चरणों मे श्रीफल भेंट विभिन्न संस्थाएं ने किए।

मंगल कलश शोभायात्र के साथ भगवान जीनेद्र की आगवानी

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्श कलम ने बताया कि गुड़ागुड़ी का नाका स्थित गीता भवन से गाजे-बाजे के साथ मंगल कलश शोभायात्रा निकाली गई। जो गीता भवन से शुरू होकर मुख्य मार्गों से होती हुई कार्यक्रम स्थल इन्द्रलोक गार्डन पहुंची। शोभायात्र में महिलाएं केसरिया साड़ी में सिर पर मंगल कलश लेकर चल रही थीं। ढोल तासे की धुन पर महिलाएं और बालिकाएं डांडिया नृत्य कर रही थीं, वहीं मन्दिर से भगवान जिनेन्द्र को सिर पर विराजित कर कार्यक्रम स्थल पर समाजजनों ने भगवान जिनेन्द्र की अगवानी की।

इन्होंने किया महोत्सव का भव्य शुभारंभ,आवरण व दीप प्रज्जवलित

कार्यक्रम स्थल पर मुनि श्री विनय सागर महाराज व क्षुल्लक श्री समर्पण सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य प्रतिष्ठाचार्य अजित कुमार शास्त्री व सह प्रतिष्ठाचार्य पं. चंद्रप्रकाश जैन ने मंत्रों के साथ कार्यक्रम शुभारंभ प्रमोद जैन, रवि जैन, पुष्पादेवी जैन जौर वाले परिवार ने जैन ध्वजारोहण कर किया। मण्डप का उद्घाटन कपूरचंद-अलका जैन परिवार ने किया। वहीं भगवान पाश्र्वनाथ के चित्र का अनवर वीरेन्द्र जैन व दीप प्रज्वलित पुरुषोत्तम जैन ने किया।

भगवान जिनेन्द्र का किया अभिषेक, याग विधान में चढ़ाए अघ्र्य

महोत्सव के प्रतिष्ठाचार्य अजीत कुमार शास्त्री एवं चंद्रप्रकाश जैन चंदर ने मंत्रोच्चारण के साथ में सौधर्म इन्द्रा राहुल जैन, कुबेर विजय जैन सहित इन्द्रों ने भगवान जिनेन्द्र का कलशों से अभिषेक जयकारों के साथ किया। मुनि श्री विनय सागर महाराज ने मुखारबिंद से शांतिधारा राकेश-वीरेन्द्र जैन द्वारा की गई। याग महामण्डल विधान इन्द्रा-इन्द्राणियों ने पीले वस्त्र धारण कर पूजा आर्चन कर संगीतकार अनुपमा जैन सुरत्न के भजनों पर भक्ति करते हुए महाअघ्र्य मण्डप के समक्ष भगवान जिनेन्द्र को समर्पित किए।

सौभाग्यवती महिलाओं ने कलशों से नवीन वेदी की शुद्धि

प्रतिष्ठाचार्य अजीत कुमार शास्त्री ने मंत्रोच्चारणों एवं विधि संस्कार के साथ मन्दिर की नवीन स्वर्णमय वेदी की सौभाग्यवती महिलाओं ने मंगल कलशों के शुद्ध जल, हल्दी, चंदन, सब औषाधिक, केशर से स्वातिक आदि से मंगल गीता गाकर शुद्धि संपन्न कराई।

महायज्ञ, शिखर कलश पदारोहण, श्रीजी नवीन वेदी पर विराजित होंगे आज

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्श कलम ने बताया कि एक जुलाई को सुबह 6:30 बजे जाप्यानुष्ठान, अभिषेक शांतिधारा, प्रवचन, श्री कल्याण विधान, विश्व शांति महायज्ञ, मन्दिर कपाट उद्घाटन, श्रीजी को कमल पर विराजित करेंगे। शिखर ध्वजा एवं कलशरोहण होगा।