व्यक्ति को अपने परिश्रम का निष्कर्ष निकालना चाहिए : विनय सागर

मुनिश्री ने 21 फुट ऊंचे भगवान शांतिनाथ का कराया अभिषेक

ग्वालियर, 17 जून। व्यक्ति सुख से रह सके यह संभव नहीं है। वह चाहे अमीर हो या गरीब, व्यक्ति को अपने परिश्रम का निष्कर्ष निकालना चाहिए। दुख से सुख में जाने के प्रयास की बजाय दुर्गुणों से सद्गुणों, बुराई से अच्छाई, पाप-पुण्य की ओर जाने का जतन करना चाहिए। दुख से सुख में जाने में सफलता मिले, यह जरूरी भी नहीं है, लेकिन दुर्गुणों से सद्गुणों में आ गए तो कोई आपको दुखी कर ही नहीं सकता है। यह विचार श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ने शुक्रवार को गेंडेवाली वाली सड़क स्थित दिगंबर जैन नसिया मन्दिर में व्यक्त किए।


मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि यदि जीवन में दुख है तो दुर्गुणों की वजह से है, वह अभिमान, क्रोध, छल-कपट, स्वार्थ या लालच के रूप में होते हैं। व्यक्ति क्रोध से क्षमा की ओर चला जाए वह अनंत असीम आनंद की उपलब्धि प्रदान करता है। सुख को भी दो प्रकार का होना बताते हुए मुनिश्री ने कहा कि एक सुख साधनों से मिलता है, एक सुख साधना से मिलता है।

मन की खुशी सदगुणों पर ही निर्भर है

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि मन खुश है तो तन भी स्वस्थ है। मन को खुश रखने के लिए विवेक, प्रेम, परमार्थ, स्वार्थरहित परोपकार से, सेवा से जुड़ा होना तथा प्रेम से भरपूर रखना जरूरी है। मन की खुशी सदगुणों पर ही निर्भर है। अच्छाईयां यदि व्यक्ति के पास हों तो झोपड़ी में रहने वाला भी महलों जैसा आनंद प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि बुरा करने वाले का भगवान भी भला नहीं कर सकता है और भला करने वाले का भगवान बुरा नहीं होने देते हैं।

अपनी गलती को तत्काल स्वीकार करें

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि यदि आपसे कभी कोई त्रुटि हो जाए, तो उसे तत्काल स्वीकार कर लेना चाहिए। एक झूठ को दबाने के लिए सौ झूठ बोलना पड़ते हैं, जिससे शक्ति का अपव्यय होता है। गलती स्वीकार करने वाला कभी परेशान नहीं होता। साथ ही उसका काम भी बिना किसी रुकावट के पूरा हो जाता है। सत्य बोलने से व्यर्थ की चिंताओं से मुक्ति मिलती है। इसलिए हमें अपनी गलतियों को, बुराइयों को स्वयं ही देखने का अभ्यास करना चाहिए।

मुनिश्री ने 21 फुट ऊंचे भगवान शांतिनाथ के किए दर्शन, मंत्रों से अभिषेक व शांतिधारा कराई

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज सुबह गेंडेवाली सड़क स्थित दिगंबर जैन नसिया मन्दिर पहुंचे। भगवान शांतिनाथ की मनोहारी 21 फुट ऊंची विशाल खड्गासन प्रतिमा का मुनिश्री ने मंत्रों का उच्चारण कर जैन समाज के लोगों ने पीले वस्त्र धारण कर जयकारों के साथ कलशों से अभिषेक किया। मुनिश्री ने शांतिनाथ के मस्तक पर शांतिधारा कराई।

मुनिश्री प्रवक्ता के निवास पर पधारे, गाए भजन उतारी आरती

शुक्रवार की सुबह श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ससंघ जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम निवास वृज विहार कालोनी पहुंचे। मुनिश्री के चरणों का पदप्रच्छलन कर अघ्र्य समर्पित किया। गुरुवर आज मेरी कुटिया में आए है… गुरुवर की कृपा जिस पर हो जाए मौज उड़ाए… मेरे सिर पर रखा दो गुरुवर अपने हाथ… भजनों के साथ नृत्य करते हुए भव्य दीपों से आरती उतारी।