16 करोड़ की जमीन घोटाले के आरोपी को आजीवन कारावास

न्यायालय ने 50 हजार का जुर्माना भी लगाया
आरोपी ने 250 व्यक्तियों के साथ किया था छल

भोपाल, 02 जून। सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश जिला भोपाल के न्यायालय ने आपराधिक सत्र प्रकरण क्र.370/11 थाना कोहेफिजा के अपराध क्र.337/10 में 16 करोड़ की जमीन घोटाले के आरोपी रमाकांत पुत्र बापूलाल विजयवर्गीय को धारा 420 भादंवि में सात वर्ष के सश्रम कारावास तथा 10 हजार रुपए जुर्माना, धारा 467 भादंवि में आजीवन कारावास व 20 हजार रुपए जुर्माना, धारा 468 भादंवि में सात वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माना व धारा 471 भादंवि में दो वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार जुर्माने से दण्डित किया है। जुर्माने की राशि जमा न करने पर सभी धाराओं में छह-छह माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास से दण्डित किया गया है। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक निसार अहमद मंसूरी ने की।
जनसंपर्क अधिकारी लोक अभियोजन/ एडीपीओ जिला भोपाल मनोज त्रिपाठी के अनुसार संक्षिप्त में घटना इस प्रकार है कि 20 जून 2010 को अभियुक्त रमाकांत विजयवर्गीय द्वारा ग्राम लाउखेड़ी स्थित पंचवटी कॉलोनी, एयरपोर्ट रोड भोपाल में स्थित 25 एकड़ कृषि भूमी को भूमी स्वामी माहाराज सिंह, दिलीप सिंह, रामबाई व अन्य किसानों से 20 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से उक्त भूमि पर विकास कार्य करने हेतु विक्रय अनुबंध करवाया और उक्त अनुबंध छह वर्ष का हुआ था। जिसे उसे संपूर्ण कृषि भूमि के रुपए छह माह के अंतराल में देने थे। उसके द्वारा आधी जमीन कंपनी डीआईएल के नाम से अनुबंध किया और आधी जमीन श्रीराम बिल्डकॉन्स के नाम से अनुबंध पत्र करवाया और आरोपी द्वारा श्रीराम बिल्डकॉन्स अपने पार्टनर से भी छल किया। जिसके कारण डीआईएल कंपनी से अपना अनुबंध-पत्र निरस्त कर दिया था। इसी तारतम्य में डीआईएल फेस-3 की जमीन के संबंध में फर्जी लेआउट प्लान फर्जी दस्तावेज निर्मित कर उस जमीन पर विकास कार्य नहीं करवाते हुए किसानों की अनुमति के बिना उक्त प्लाटों को 250 उपभोक्ताओं को बेचा और उनसे करोड़ों रुपए इकट्ठा किया और आरोपी ने प्लाट के आवंटियों को न तो प्लाट पर कब्जा करवाया और न ही रजिट्रिरी करवाईऔर न ही पैसे वापस दिए औैर उसके द्वारा अनुबंध के अनुसार किसानों से भी ठगी की गई। इस हेतु किसानों ने मुख्तारनामा और अनुबंध पत्र निरस्त कर दिया। अभियुक्त ने 250 प्लाट के आवंटियों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छूठा सपना दिखा कर और अपना ऑफिस बंद कर फरार हो गया, जिसे लुक आउट वारंट जारी कर एयर पोर्ट से पकड़ा, अभियुक्त रमाकांत विजयवर्गीय विदेश भागने की फिराक में था। सप्तम अपर न्यायाधीश के समक्ष 31 अभियोजन साक्षियों के कथन करवाए, आरोपी ने अपनी ओर से दो बचाव साक्षियों के कथन करवाए। लगभग हजारों प्रदर्श एवं आर्टिकल प्रदर्शित किए गए। तत्पश्चात आरोप सिद्ध होने से अपर सत्र न्यायाधीश ने आजीवन कारावास से दण्डित किया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों, साक्ष्यों एवं दस्तावेजों से सहमत होते हुए आरोपी को उक्त दण्ड से दण्डित किया है। यह फैसला न्यायिक क्षेत्र में ऐतिहासिक फैसला है।