परिवार में संबंध का आधार भावनाएं हैं : अखिलेश अर्गल

संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति की पहचान हैं : बीके डॉ. मुकुल भाई

ग्वालियर, 16 मई। मप्र राज्य आनन्द संस्थान की जिला आनंदक ग्वालियर टीम और प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय लश्कर ग्वालियर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के उपलक्ष्य में वैचारिक कार्यक्रम ‘आनंद का आधार : परिवारÓ विषय पर आयोजित किया गया। जिसमें मप्र राज्य आनंद संस्थान भोपाल से मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखिलेश अर्गल ऑनलाइन जुड़े तथा प्रभु उपहार भवन लश्कर ग्वालियर में मंच पर विजय कुमार उपमन्यु (डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम लीडर, आनंद), बीके डॉ. मुकुल भाई (पुणे), ब्रह्माकुमारीज लश्कर ग्वालियर की इंचार्ज बीके आदर्श दीदी, बीके प्रहलाद भाई उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के संचालक बीके प्रहलाद भाई ने विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज जीवन में जो खुशी की कमी, आनंद की कमी है, उसका मूल कारण है कि आज हम अपने संयुक्त परिवार से कहीं ना कहीं दूर हो गए हैं। यह आनंद, खुशी और प्रेम की अनुभूति हमें हमारे परिवार के साथ रह कर ही होती है, इसलिए आज जरूरी है कि हम अपनी दिनचर्या में से कुछ समय परिवार के साथ अवश्य बिताएं।


ग्वालियर डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम लीडर (आनंद) विजय कुमार (उपमन्यु) ने सभी को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (15 मई) की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे जीवन में तमाम भौतिक सुख सुविधा होने के बाद भी हमारी प्रसन्नता स्थाई रूप से नहीं रहती है। अगर हम चाहते हैं कि हमारे जीवन में खुशी, आनंद सदैव बरकरार रहे तो वह केवल बाहर के व्यक्ति या वस्तु से नहीं बल्कि स्वयं से स्वयं की मुलाकात के साथ अपने परिवार से जुड़कर ही अनुभव होगी। ब्रह्मा कुमरीज संस्थान परिवार वसुदैव कुटुंबकम् की व्याख्या का जीवंत उदाहरण है।


मुख्य वक्ता बीके डॉ. मुकुल भाई ने सभी को संबोधित करते हुए बताया कि देश के घर-घर में परिवारों में असंतोष, मन मुटाव बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। आज साधनों एवं धन की कोई कमी नहीं है, लेकिन संबंधों की आज सबसे ज्यादा कमी है। हमारी भारतीय संस्कृति यह कहती है कि परिवार में जितने भी सदस्य हैं एक साथ बैठकर प्रभु स्मृति में शांति से अन्न को प्रसाद समझ कर स्वीकार करें। परिवार के बड़े सदस्यों के आचरण का बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। परिवार का सकारात्मक माहौल सभी को प्रेरित करता है। संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति की पहचान हैं। त्याग और समर्पण के अभाव में परिवार बिखर जाते हैं।


कार्यक्रम में अतिथि वक्ता मप्र राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखिलेश अर्गल ने बताया कि वर्तमान समय में देखा जाए तो परिवारों में दूरियां बढ़ी हुई नजर आती हैं। परिवार का जो आधार है वो संबंध है और संबंध का आधार है भावनाएं। जिसमें विश्वास से लेकर प्रेम तक सभी भावों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज हम अपने बच्चों को अधिक से अधिक सुविधाएं देने की कोशिश तो करते हैं, परंतु हम उनकी संबंधों के प्रति समझ बढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। जिसमें एक-दूसरे को समय देने की, प्रेम, स्नेह से एक दूसरे की बात को समझने की कोशिश महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी ने अपने आशीर्वचन देते हुए बताया कि इतना बड़ा विश्व होने के बाद भी आज व्यक्ति स्वयं को अकेला समझता है और इसका मूल कारण है कि जो आनंद के, प्रेम के सागर हैं हम उन से डिस्कनेक्ट हो गए हैं। स्वयं ईश्वर विश्व को एक परिवार बनाने का कार्य कर रहे हैं। हम सभी भी अपना कनेक्शन परमात्मा के साथ जोड़ें और सहयोगी बनें। कार्यक्रम के अंत में बीके पवन ने सभी का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रसारण भी किया गया, जिसमें ग्वालियर जिले के आनंदकों सहित अन्य नागरिकों ने जुड़कर लाभ लिया।