रिश्वत लेकर झोलाछाप डॉक्टरों की दुकान चलवाने का आरोप

शिकायतकर्ता ने जिला चिकित्सा अधिकारी को कार्रवाई हेतु दिया आवेदन

भिण्ड, 13 मई। जिलेभर में सैकड़ों की तादाद में झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान खोलकर बैठे हैं, खुलेआम चल रहे इन झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिकों पर जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही और अल्प ज्ञान की वजह से कई बार मरीजों की जान भी जा चुकी है। इस सबके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी जिले में चल रहे प्राइवेट झोलाछाप क्लीनिकों पर शिकंजा नहीं कस रहे, आखिर क्या कारण है जो इन्हें बन्द नहीं कराया जा रहा है?
अभी हाल ही में इसका खुलासा करते हुए मालनपुर निवासी मुन्नालाल कुशवाह ने जिला चिकित्सा अधिकारी और जनसुनवाई में आवेदन दिया है, उन्होंने दिए आवेदन में लिखा है कि मालनपुर में लगभग 25 से 30 दुकान झोलाछाप डॉक्टरों की हैं, जिला चिकित्सालय से अजेन्द्र कुशवाह, दुबेजी, आरएस शाक्य, एक चपरासी और ड्राइवर सहित पांच लोगों की टीम मालनपुर क्षेत्र में चल रहे प्राईवेट क्लीनिकों के रजिस्ट्रेशन की जांच करने आती तो है, लेकिन प्रति झोलाछाप डॉक्टर से छह हजार रुपए रिश्वत लेकर चली जाती है। जो झोलाछाप डॉक्टर रिश्वत नहीं देता है उसके खिलाफ पुलिस केस बना देती है, जिला चिकित्सा अधिकारी को दिए आवेदन में उक्त शिकायतकर्ता ने दूसरी टीम बनाकर जांच कर उक्त झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानों को बंद कर उन पर कार्रवाई करने की मांग की है।

रिश्वत के मामले में लोकायुक्त भी कर चुका है कार्रवाई

यहां बताना मुनासिब होगा कि पूर्व में भी अजेन्द्र सिंह पर झोलाछाप डॉक्टरों से रिश्वत लेने के आरोप लगे थे और लोकायुक्त ने रंगेहाथ चार हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार भी किया था, मौ कस्वे में संचालित एक्यूप्रेशर क्लीनिक संचालक से क्लीनिक चलाने के एवज में छह हजार रुपए रिश्वत की मांग की थी, तो उक्त संचालक ने लोकायुक्त को शिकायत की। जिस पर लोकायुक्त ने रिश्वत लेते अजेन्द्र सिंह के साथ डॉ. राजकुमार दुबे और उनके निजी ड्राइवर को रंगे हाथ पकड़ा था।

इनका कहना है-

मेरे आने से पहले आवेदन आया था मामला मेरे संज्ञान में है, टीम भेजकर जांच करवाऊंगा।
डॉ. एसके व्यास, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला भिण्ड