शिवराज सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपने पारित संकल्प को पूरा क्यों नहीं कर सकी : डॉ. गोविन्द सिंह

पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव को लेकर शीर्ष अदालत द्वारा पारित आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि शिवराज ने मोहन भागवत के एजेंडे को लागू किया

भिण्ड, 10 मई। मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने आज देश की शीर्ष अदालत द्वारा पारित उस आदेश के जिसमें बिना आरक्षण के प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव हेतु 15 दिनों में अधिसूचना जारी किए जाने की बात कही है, को लेकर शिवराज सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि मप्र विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब इस बात की घोषणा की थी कि यह चुनाव बिना आरक्षण के नहीं होंगे, सरकार न्यायालय में मजबूती से अपना पक्ष रखेगी, तब क्या कारण है कि शीर्ष अदालत में सरकार अपने उस संकल्प को पूरा क्यों नहीं कर सकी?
डॉ. सिंह ने कहा कि अब यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि शिवराज सरकार और स्वयं मुख्यमंत्री जो अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं, वे इस वर्ग के न केवल घोर विरोधी हैं, बल्कि यह उन्होंने साबित भी कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि ओबीसी वर्ग की सच्ची हितैषी तो कांग्रेस पार्टी है, जिसके पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने इस वर्ग के उत्थान के लिए रामजी महाजन आयोग गठित किया था, दिग्विजय सिंह ने 14 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की जिसे बढ़ाकर कमलनाथ सरकार ने 27 प्रतिशत किया। इसके ठीक विपरीत भाजपा शासित राज्य के तीन मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती, स्व. बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान जो स्वयं इसी वर्ग से संबद्ध हैं, ने ओबीसी की बड़ी आबादी के साथ न केवल छल और अन्याय किया है, बल्कि संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के उस गुप्त एजेंडे को भी षड्यंत्रपूर्वक लागू करवा दिया है, जिसमें विगत वर्षों उन्होंने आरक्षण समाप्ति की बात कहीं थी।
डॉ. सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछना चाहा है कि यदि उक्त आरोप गलत हैं तो वे बताएं कि अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर उनकी सरकार की घोर लापरवाही का कारण क्या है, जिसकी वजह से राज्य के एक बड़े तबके को अपने वाजिब अधिकारों से षड्यंत्र के माध्यम से जानबूझकर वंचित होना पड़ा?