जीवन मे एकनिष्ठता बहुत जरूरी है : आचार्य अवस्थी

श्रीमद् भागवत कथा में पांचवे दिन हुआ श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन

भिण्ड, 09 मई। अटेर क्षेत्र के ग्राम खड़ीत में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक व समाज सुधारक आचार्य मनोज अवस्थी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षस पूतना को भेजता है। पूतना भेष बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं। उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने के की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इन्द्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इन्द्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगर वासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इन्द्र एक सप्ताह के बाद बारिश को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारों लगाने लगते हैं।


आचार्यश्री अवस्थी ने यह भी कहा कि भगवान को लेकर किसी भी धर्म मे किसी भी संप्रदाय में विरोध नहीं है, विरोध सिर्फ नाम को लेकर है, क्योंकि सारे धर्मों ने स्वीकार किया है, नाम भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सबका मालिक एक है और ये सबने माना भी है। जीवन मे एक निष्ठता भी बहुत जरूरी है, हमें सदैव एक निष्ठ रहना चाहिए। एक निष्ठ भक्ति में रहकर ही हम भगवान को प्राप्त कर सकते हैं। ज्ञातव्य रहे कि ग्राम खड़ीत में श्रीश्री 108 सुंदरदास जी महाराज चित्रकूट धाम के आशीर्वाद श्याम सुंदर शर्मा के आयोजन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पारीक्षत अवधेश कटारे हैं। पांचवे दिन पण्डाल में भक्तों का जमावाड़ा लगा रहा, बाहर से आए अतिथि भक्तों का कथा वाचक द्वारा सम्मान किया गया।