रोजा हमें गरीबों की भूख का एहसास कराता है : अब्दुल हमीद

भिण्ड, 29 अप्रैल। मानवता ईश्वर के लिए कल्याण संस्था परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल हमीद ने रमजान के मुबारक महीने को गरीब और यतीमो की फिक्र करने का महीना बताया है।
हामिद ने बताया कि रोजा हमें गरीबों की भूख का एहसास कराता है, यतीमो की तकलीफ का एहसास कराता है, कमजोर और दबे कुचले लोगों के दर्द का एहसास कराता है और गरीबों के दर्द का एहसास और कमजोरो की मदद ही सबसे बड़ी खुदा की इबादत है। इसीलिए रमजान के महीने को इबादत का भी महीना कहा गया है। हमें इसका ख्याल रखना चाहिए हमें यह पूर्ण तरीके से ही इंसानियत सिखाता है मानवता सिखाता है। हमको यह सीखने को मिलता है कि जिनके पास खाने को नहीं है, उन सबका हक है उन सबके ऊपर जो घर में आराम से खा रहे हैं, एक पड़ोसी का दूसरे पड़ोसी पर पूरा हक है और जिसके पास है उसे बखूबी अपने हक को अदा करना चाहिए। मगर अफसोस कि हमारे नगर में पड़ोस में और बस्ती में ना जाने कितने इंसान गरीबी की चपेट में हैं और शर्म के मारे वह अपना हक आपसे और हमसे मांगते नहीं हैं, हम और आप जरा अपने जमीर को टटोल कर तो देखो, क्या हमें उनकी की भूख के दर्द का एहसास होता है, क्या हमें उन यतिमो के दर्द का एहसास होता है, क्या हमें उन विधवाओ ं, बेसहारों के दर्द का एहसास होता है, अगर नहीं होता तो हमने रोजे की हकीकत को जाना ही नहीं है। हम सबको जरूरतमंद की मदद अल्लाह के लिए करना चाहिए और जरूरतमंद में जाति तलाश ना करें, जरूरतमंद इंसान किसी भी जाति का हो, उसकी हमें ज्यादा से ज्यादा मदद करना चाहिए। इंसानियत ही सबसे बड़ी इबादत है, हमें इसका ख्याल रखना चाहिए और आगे हामिद ने पूरे देश से अपील करते हुए कहा है कि आपस में भाईचारा रखें।