भारत के ऋषि बीमारी भगाने प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति अपनाते थे: हरिओम

ग्राम सिघांवरी में नेचुरोपैथी पर सेमिनार आयोजित

भिण्ड, 23 फरवरी। मालनपुर कस्बे के नजदीक आदर्श ग्राम सिंघावरी गांव में प्राकृतिक चिकित्सा, योग के प्रति जन जागरुकता हेतु रोगमुक्त भारत अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि इंटर नेशनल नेचरोपैथी ऑर्गेनाइजेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिओम गौतम ने कहा कि यह ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो कि भारत की जड़ों में बस्तु है। देश के ऋषि मुनि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से गंभीर रोगों का निदान कर लेते थे। आज ऐलोपैथी के फेर में अपनी मूल चिकित्सा को भूल गए। यहीं कारण है जिन बीमारियों का उपचार घर पर स्वयं से संभव है, उनके लिए डॉक्टर को मोटी फीस देना। दवाओं को महंगे दाम में खरीदकर खाना होता है। सही मायने में भारत की मूल चिकित्सा पद्धति को खत्म पूंजीवादियों ने किया है।
उन्होंने बताया कि प्रकृति के सिद्धांतों से दूर होकर हम सभी बीमारियों से घिर रहे हैं। मनुष्य प्रकृति का एक हिस्सा है। उसका शरीर इन्हीं प्रकृति तत्व से बना है। प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांत नितांत मौलिक है इनके अनुसार प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करने से रोग पैदा होते है तथा प्राकृतिक नियमों का पालन करते हुए पुन: निरोग हो सकते है। मनुष्य शरीर में स्वाभाविक रूप एक ऐसी प्रकृति प्रदत्त पाई जाती है, जो सदैव भीतरी और बाहरी हानिकारक प्रभावों से मानव की रक्षा करती है। जिसको नियमियता कहा जाता है और साधारण लोग जिसे जीवनी शक्ति के नाम से पुकारते हैं। वही शक्ति सब प्रकार के रोगों के कारणों को स्वयमेव दूर करती है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. सुरेन्द्र शुक्ला (नेचुरोपैथी) ने ग्रामीणों को नेचरोपैथी के माध्यम से छोटी-छोटी बीमारियों को ठीक करने के उपाए सुझाए। इस मौके पर सौरभ भार्गव (सीसीओ सूर्या रोशनी), देवेन्द्र सिंह तोमर, वरिष्ठ सेवाभावी श्रीमती कुशमा, रेखा, संध्या शर्मा एवं कार्यक्रम आयोजक अशोक कुमार सूर्या फाउण्डेशन के कार्यकर्ता, लायकराम, रवि तिवारी, सत्यम, धर्मेन्द्र, राजीव, अनिल सिंह एवं गांव के युवा बड़ी संख्या में मौजूद रहे।