संत रविदास जी सच्चे कर्मयोगी थे : डॉ. श्वेता

भिण्ड, 16 फरवरी। ऐसा चाहूं राज में जहां मिले सबको अन्न छोटे-बड़े सबसे रहे रविदास प्रसन्न इस चरितार्थ के साथ बुधवार को धनवंतरी कॉन्प्लेक्स में स्थित फिटनिस स्टूडियो में संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की 645वी जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत संत रविदास जी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। उसके बाद चौ. दिलीप सिंह कन्या महाविद्यालय की बालिकाओं का फिजिकल फिटनेस टेस्ट करवाया गया। इस अवसर पर प्रो. इकबाल अली, प्रो. रामानंद शर्मा, महेन्द्र चौधरी, डॉ. स्वेता सक्सेना, शैलेश सक्सेना, कुलदीप लोहिया, फिटनेस कोच अरविंद पावक, योगेश शर्मा, नोसीन हुसैन आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. रामानंद शर्मा ने बताया कि संतों के साथ व्यतीत उनके जीवन का अधिकांश जीवन ने उन्हें संत बना दिया। सबसे पहले उन्होंने आंतरिक भावनाओं व आपसी भाईचारे को सच्चा धर्म बताते हुए समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने का प्रयास किया, हमें उनके आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसार करने की जरूरत है।
डॉ. स्वेता सक्सेना ने बताया कि संत शिरोमणि रविदास जी के बताए रास्ते पर चलोगे तभी उनका जन्म दिवस मनाना सार्थक सिद्ध होगा, संत रविदास जी ने जो रास्ता दिखाया उसी रास्ते पर चलकर परिवार व समाज का कल्याण होगा। संत रविदास जी का मानना था कि आमजन को जाती पथ समुदाय में बांटना उचित नहीं है, वह सच्चे कर्म योगी थे। उनका मानना था कि आप अपने कार्य के साथ ही भगवान का भजन कर सकते हो, इसके लिए आपको अलग से मन्दिर या अन्य कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। इसीक्रम में महेन्द्र चौधरी, शैलेश सक्सेना, अरविंद पावक, कुलदीप लोहिया ने कहा कि संत रविदास जी ने समाज में बिना किसी छुआछूत के एक साथ मिलजुल कर रहने का संदेश दिया, रविदास जी को नमन करते हुए आज समाज में हमें उनके संदेश को जन-जन तक पहुंचाने आ सकता है, तभी समाज में व्याप्त कुरीतियां समाप्त होगी और समाज में समरसता का भाव पैदा होगा। कार्यक्रम का संचालन कुलदीप लोहिया, आभार अरविंद पावक ने व्यक्त किया।