खराब प्रदर्शन करने दो अभियोजक निलंबित, चार को कारण बताओ नोटिस

वर्ष 2021 में न्यायालय से निराकृत प्रकरणों की हुई समीक्षा
समीक्षा के दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाले अभियोजक हुए प्रशंसित

भोपाल, 14 फरवरी। महानिदेशक/ संचालक, लोक अभियोजन अन्वेश मंगलम ने वर्ष 2021 में न्यायालय से निराकृत चिन्हित जघन्य एवं सनसनीखेज प्रकरणों की समीक्षा के दौरान खराब प्रदर्शन के लिए दो अभियोजकों को निलंबित किया तथा चार को कारण बताओ नोटिस जारी किए, वहीं उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 10 से ज्यादा अधिकारियों को प्रशंसा-पत्र प्रदान किए गए। बैठक में प्रदेशभर के उप संचालक, अभियोजन/ जिला अभियोजन अधिकारी/ लोक अभियोजक/ अपर लोक अभियोजक/ सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारियों ने भाग लिया एवं कुल 700 प्रकरणों की जिलेवार समीक्षा की गई।
समीक्षा के दौरान पाया गया कि रायसेन, शहडोल, मण्डला, छतरपुर, रतलाम, नरसिंहपुर, भोपाल, दतिया आदि जिलों का प्रदर्शन अच्छा रहा। यहां चिन्हित प्रकरणों में 80 प्रतिशत से अधिक सजा दर दर्ज की गई। इसके विपरीत जिला शाजापुर, अलीराजपुर, मुरैना, दमोह, रीवा, अशोकनगर आदि में 50 प्रतिशत से भी कम दोषसिद्धि दर पर संचालक, लोक अभियोजन द्वारा अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी जिलों को वर्ष 2022 में प्रदर्शन में सुधार का लक्ष्य दिया गया। समीक्षा के दौरान जिला अभियोजन अधिकारी अशोकनगर अतुल शर्मा एवं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी, सिलवानी, जिला रायसेन राजेन्द्र वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। जिला अभियोजन अधिकारी उमरिया अकरम शेख, जिला अभियोजन अधिकारी इंदौर संजीव श्रीवास्तहव, जिला अभियोजन अधिकारी उज्जैन राजकुमार नेमा, उप संचालक (अभियोजन) अलीराजपुर राजीव गरवाल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
संचालक द्वारा सजा दर में वृद्धि के उपाय समझाते हुए पुलिस रेग्युललेशन के पैरा 518 एवं उच्चतम न्यायालय के ‘किशन भाईÓ प्रकरण में दिए निर्देशों के पालन में गंभीरता से स्क्रूटनी करने, न्यायालय में आरोप निर्धारण के दौरान लिखित तर्क प्रस्तुत करने, न्यायालय ट्रायल में चालान प्रस्तुत करने से पूर्व विवेचक एवं थाना प्रभारी से परामर्श करने तथा न्यायालय से विचारण की तिथि प्राप्त होने पर समंस/ वारंट की तामीली हेतु प्राप्त कर थाना प्रभारी को सौंपने को बतलाया। उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक प्रकरण की दैनिक प्रगति की जानकारी पुलिस रेग्युलेशन पैरा 519 के पालन में जिले के पुलिस अधीक्षक को दें। पैरवी अधिकारी के नियमित पेशी पर न आने की जानकारी दैनिक प्रतिवेदन के माध्यम से ही पुलिस अधीक्षक को सौंपें। माह में सभी दोषमुक्ति प्रकरणों को साक्ष्य एवं त्रुटि समीक्षा प्रतिवेदन के साथ जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता की किशन जी भाई समिति के समक्ष रखने के निर्देश दिए। उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि इन उपायों को अपनाए जाने से सजा दर में वृद्धि सुनिश्चित है। ज्ञातव्य है कि संचालक ने पृथक से स्क्रूटनी कार्य को ऑनलाइन करने और इसके स्टैडर्ड फार्मेट तैयार करने के लिए पृथक से कार्रवाई प्रारंभ करते हुए अभियोजकों की समिति भी गठित की है। समिति अपना प्रतिवेदन 15 दिवस में प्रस्तुत करेगी।
यह भी बताया गया कि संचालनालय स्क्रूटनी के मानक प्रारूप तैयार किए जाने की दिशा में कार्य कर रहा है, जिससे गंभीर प्रकरणों में भी विधि अनुसार यथाशीघ्र साक्ष्य संग्रहण सुनिश्चित किया जा सके। संचालक ने निर्देश दिया कि अभियोजक का दायित्व पीडि़तों एवं अभियोजन गवाहों की सहायता करना है। अभियोजकों का आरोपी पक्ष से संपर्क एवं संवाद नहीं होना चाहिए।