नाबालिग के साथ छेड़छाड़ तथा हत्या के प्रयास के आरोपी को सात वर्ष का कारावास

सागर, 14 फरवरी। विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012) जिला सागर श्री दीपाली शर्मा के न्यायालय ने नाबालिग के साथ छेड़छाड़ तथा हत्या का प्रयास करने आरोपी मनोज पिता चैतू काछी (पटैल) उम्र 30 साल निवासी काछी पिपरिया, थाना रहली, जिला सागर को धारा 307 भादंसं में सात वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में तीन साल का सश्रम कारावास एवं तन हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा(2)(अ-क) अजा और जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में एक साल का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा(2)(अ) अजा और जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में एक साल का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए के जुर्माने से दण्डित किया है। प्रकरण में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी/ विषेश अभियोजक रिपा जैन ने राज्य शासन की ओर से पक्ष रखा।
मीडिया प्रभारी/ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सागर सौरभ डिम्हा के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि पीडि़ता की मां ने थाना रहली में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि सात जुलाई 2016 को दोपहर करीब तीन बजे पीडि़ता घर से थोड़ी दूर बने कुएं से पानी भरने गई थी। तभी पीडि़ता के भाई ने आवाज लगाई कि मम्मी मनोज पटैल ने पीडि़ता को कुएं में धक्का दे दिया है, जिस पर वह कुएं के पास गई तो देखा कि मनोज पटैल हाथ में पत्थर उठाकर कुंए के अंदर पीडि़ता को मार रहा था। पीडि़ता का भाई और मां पीडि़ता को बचाने के लिए दौड़े, जिसे देखकर आरोपी मनोज भाग गया। उसी समय पीडि़ता के पिता और अन्य लोग वहां आ गए एवं पीडि़ता को कुएं से बाहर निकाला। पीडि़ता ने बताया कि जब वह कुएं में से पानी भर रही थी उसी समय मनोज ने आकर बुरी नियत से हाथ पकड़ लिया, वह हाथ छुड़ाने के लिए चिल्लाई तो मनोज ने जान से मारने की नियत से धक्का देकर कुएं मे गिरा दिया। पीडि़ता की मां की उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां अभियोजन ने महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए। न्यायालय ने उभय पक्ष को सुना एवं प्रकरण के तथ्य, परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत आरोपी मनोज को धारा 307 भादंसं में सात वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में तीन साल का सश्रम कारावास एवं तीन हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा(2)(अक) अजा और जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में एक साल का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा(2)(अ) अजा और जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में एक साल का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए के जुर्माने से दण्डित करने का आदेश दिया है।