रिश्वत मांगने वाले सफाई दरोगा को पांच साल की सजा

लवकुश नगर, 02 फरवरी। विशेष न्यायाधीश श्री सुधांशू सिन्हा की अदालत ने नगर पंचायत लवकुश नगर के सफाई दरोगा को पांच साल की कठोर कैद और जुर्माना की सजा सुनाई है। विशेष अभियोजक (लोकायुक्त) एडीपीओ केके गौतम ने मामले की पैरवी करते हुए आरोपी के विरुद्ध साक्ष्यों को अदालत के सामने पेश किए और कठोर सजा देने की अपील की।
जिला अभियोजन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार फरियादी कामता प्रसाद गुप्ता ने 28 जुलाई 2015 को लोकायुक्त पुलिस सागर में इस आशय की शिकायत दर्ज कराई थी कि वह वार्ड क्र.नौ लवकुश नगर में मकान निर्माण करवा रहा है, जिस पर नगर पंचायत का सफाई दरोगा मूलचंद्र चौबे उससे रिश्वत की मांग कर रहा है तथा कह रहा है कि यदि पैसा नहीं दोगे तो मकान नहीं बनाने देगा तथा मकान बनाने का सामान उठा ले जाएगा। उक्त आशय का आवेदन लोकायुक्त कार्यालय, सागर में दिया था। लोकायुक्त एसपी ने फरियादी के आवेदन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। जिस पर 31 जुलाई 2015 को फरियादी तीन हजार रुपए रिश्वत की राशि लेकर ट्रेप दल के साथ लवकुश नगर नगर पंचायत कार्यालय पहुंचा। फरियादी ने आरोपी मूलचंद्र चौबे को फोन किया तो आरोपी ने फरियादी को कुछ देर में नगर पंचायत कार्यालय के बाहर चाय की दुकान पर मिलने को कहा। ट्रेप दल के सदस्य नगर पंचायत कार्यालय के पास अपनी उपस्थिति छुपाते हुए खड़े हो गए। कुछ देर बाद आरोपी के आने पर फरियादी ने उसे रिश्वत की राशि दी और ट्रेपदल को इशारा किया। ट्रेपदल ने आरोपी मूलचंद्र चौबे को अपने घेरे में ले लिया और रिश्वत राशि के संबंध में पूछने पर बताया कि उसने रिश्वत राशि फरियादी से ग्रहण कर अपने पैंट की दाहिने जेब में रख दी है। ट्रेप दल द्वारा आरोपी से रिश्वत की राशि बरामद की गई। लोकायुक्त पुलिस ने विवेचना के बाद मामले को अदालत में पेश किया। विशेष न्यायाधीश की अदालत ने आरोपी सफाई दरोगा मूलचंद्र चौबे को रिश्वत लेने के अपराध का दोषी ठहराया। अदालत ने आरोपी सफाई दरोगा को भ्रनि अधिनियिम की धारा 13(1)(डी) में पांच साल की कठोर कैद के साथ 15 हजार रुपए के जुर्माना एवं धारा 7 में चार साल की कठोर कैद के साथ 15 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई।
न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि लोक सेवक द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या है। जो समाज को खोखला कर रही है। आरोपी के विरुद्ध नम्र रुख अपनाया जाना विधि की मंशा के विपरीत है। गौरतलब है कि वर्ष 2021 में भ्रष्टाचार के मामलों में जिला छतरपुर के विशेष न्यायाधीश (भ्रनि अधिनियम) श्री सुधांशू सिन्हा द्वारा कठोर कार्रवाई करते हुए निराकृत सभी मामलों में सयाजाबी के निर्णय सुनाए गए हैं।